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सड़कों पर गड्ढों का कहर: गाडिय़ों का बिगड़ा अलाइनमेंट, हड्डियों का निकला दम

locationभोपालPublished: Oct 09, 2019 01:06:48 am

Submitted by:

Sumeet Pandey

कारों के सस्पेंशन से लेकर ऑयल टैंक तक हो रहे क्षतिग्रस्त, वाहन चालकों में भी बढ़ी हड्डियों की परेशानियां

सड़कों पर गड्ढों का कहर: गाडिय़ों का बिगड़ा अलाइनमेंट, हड्डियों का निकला दम

सड़कों पर गड्ढों का कहर: गाडिय़ों का बिगड़ा अलाइनमेंट, हड्डियों का निकला दम

भोपाल. शहर की गड्ढों भरी सड़कें केवल गाडिय़ों पर ही नहीं लोगों की सेहत पर भी भारी पड़ रही हैं। गड्ढों पर झटके खा रही चार पहिया वाहनों की सर्विसिंग में दोगुने से ज्यादा खर्च आ रहा है, तो कारों के पाट्र्स तक टूट-फूट रहे हैं। वहीं गड्ढों के कारण शरीर में भी हड्डियों संबंधी समस्या बढ़ रही है। अस्पतालों की ओपीडी में हर तीसरा मरीज हड्डियों की परेशानी लेकर पहुंच रहा है। इसके इलाज में भी लोगों की जेब खाली हो रही है।
होशंगाबाद रोड स्थित सर्विस सेंटर वीर मोटर्स के हेड टेक्निशियन दीपक बताते हैं, गड्ढों से गाडिय़ों के सस्पेंशन, लोअर आर्म से लेकर लिंक रॉड खराब हो रहे हैं तो ***** तक बैंड हो रहे हैं। सामान्य स्थिति में पांच हजार किलोमीटर पर कार का एलाइनमेंट करने की सलाह दी जाती है, लेकिन यदि कार किसी गड्ढे में पटकाए तो आपको तुरंत इसे करवाना जरूरी होता है, यदि ऐसा नहीं करते हैं तो 40 हजार किलोमीटर चलने वाला टायर बिना एलाइनमेंट के चलते हुए 200 किमी में घिस जाएगा।ऑटोमोबाइल सेक्टर के एक्सपट्र्स का कहना है कि हर साल बरसात में खराब सड़कों से आम नागरिकों को करोड़ों का नुकसान होता है। इसकी जिम्मेदारी सीधे तौर पर सड़क निर्माण करने वाली एजेंसियों की है। राजधानी में सड़कों का जिम्मा नगर निगम, सीपीए और पीड्ब्ल्यूडी के पास है। लेकिन एजेंसियों में ही तालमेल नहीं है।
ब्रेक हो जाते हैं जाम, गाड़ी में आ जाता है पानी
ग्यारह मील पर सत्यम मोटर्स के सर्विस सेंटर के हेड मैकेनिक गुलाब राव बताते हैं, एक एंट्री लेवल कार की सर्विसिंग तीन से चार हजार में हो जाती है, लेकिन खराब सड़कों पर चलने पर सर्विसिंग कॉस्ट डबल हो जाती है। पानी में डूबने के बाद कई बार ब्रेक जाम हो जाते हैं यदि पानी से निकलने के बाद गाड़ी को कुछ देर चला लें तो गर्मी से पानी सूख जाता है, लेकिन ब्रेक शू में पानी लगने के कुछ ही देर ब्रेक लगाए जाएं या हैंड ब्रेक खींचकर छोड़ दिया जाएं तो पहिए जाम हो जाते हैं। इस पर यदि कार की बॉडी जमीन से टकरा गई तो गियर बॉक्स से लेकर ऑयल टैंक का फूटना बड़ी बात नहीं है।
तीन महीने में 30 फीसदी बढ़ गई हड्डियों की परेशानी, हर तीसरा मरीज गड्ढों से पीडि़त
बीते तीन माह की बात करें तो हड्डी रोग विभाग की ओपीडी में 30 फीसदी का इजाफा हुआ है। यहां आने वाला हर तीसरा मरीज गड्ढों के कारण परेशान है। इन मरीजों में स्लिप के साथ ज्वांइट पेन के मरीज सबसे ज्यादा हैं। जेपी अस्पताल के अस्थि रोग विशेषज्ञ डॉ. केके देवपुजारी बताते हैं लगातार झटकों से स्लिप ***** की दिक्कत ज्यादा होती है। रीढ़ की हड्डी हमारा फस्र्ट लाइन डिफेंस सिस्टम है। बाइक पर बैठने से पूरे शरीर का वजन इस पर होता है। ऐसे में अगर लगातार झटके लगते हैं तो रीढ की ***** अपने स्थान से खिसक जाती है। इसके अलावा हेड इंजुरी, शोल्डर शॉक्स या घुटनों का दर्द भी इससे हो सकता है। वहीं एम्स की नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. भावना शर्मा बताती हैं कि मायोपिया से पीडि़त मरीजों को लगातार झटके गंभीर परेशानी में डाल सकते हैं। इससे आंखों का पर्दा जो बाहर से आने वाली रोशनी को नियंत्रित करता है वो खिसक सकता है।
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