रहवासियों का विरोध पेड़ काटने के मामले में ग्रामीणों का कहना है कि बिजली कंपनी पेड़ काटे तो उन्हे कोई मना नहीं करता है। लेकिन जब ग्रामीण पेड़ काटता है तो उसे डरा-धमका दिया जाता है। रहवासियों ने 40 साल पुराने पेड़ों को काटने का विरोध किया है। उनका कहना है कि पेड़ काटने के बजाए जमीन के अंदर से बिजली लाइन जमीन के अंदर से निकाली जा सकती है।
पेड़ काटन से पहले रखें ध्यान अगर पेड़ काटना जरूरी है तो भी इसके लिए एक कानूनी प्रक्रिया है जिसका पालन करना अनिवार्य है। नियमों का उल्लंघन करने वालों के लिए सजा का प्रावधान किया गया है। कानूनी जानकार बताते हैं कि राजधानी दिल्ली में पेड़ को बचाने के लिए 1994 में एक कानून बनाया गया था जिसे दिल्ली प्रिजर्वेशन ऑफ ट्रीज एक्ट 1994 का नाम दिया गया।
पेड़ काटने के क्या है कानून पेड़ काटने के दो स्थिति है, एक तो विशेष परिस्थिति दूसरे, साधारण परिस्थिति। अगर आंधी तूफान या किसी अन्य प्राकृतिक कारणों से पेड़ की डाली टूट गई हो या फिर आधा पेड़ सड़क पर आ गया हो तो ऐसे पेड़ काटे जा सकते हैं लेकिन इसके लिए कानूनी प्रावधान यह है कि अगर समय है तो इस बारे में संबंधित अधिकारी यानी ट्री ऑफिसर को सूचित किया जाना चाहिए या इसके लिए भी समय नहीं है तो पेड़ काटने के बाद इसके बारे में तुरंत ट्री ऑफिसर को सूचित किया जाए।
सामान्य तौर पर भी पेड़ काटने के पहले ट्री ऑफिसर को यह बताना होगा कि पेड़ काटना क्यों जरूरी है। कारण अगर जायज होगा तो ट्री ऑफिसर पेड़ काटने की इजाजत दे सकता है। लेकिन किसी भी परिस्थिति में काटे गए पेड़ के बदले ट्री ऑफिसर पेड़ काटने वालों को यह आदेश दे सकता है कि एक पेड़ के बदले उन्हें इतने पेड़ लगाने होंगे।