इस कंपनी ने अब सीआईएल के लिए बिजली उत्पादन में भी एक कदम रखा है। इसके अंतर्गत अमरकंटक ताप विद्युत गृह चचाई में 660 मेगावॉट क्षमता की एक यूनिट को स्थापित करने के लिए संयुक्त उपक्रम कंपनी (joint venture) गठित करने का प्रावधान किया गया है। मेमोरेण्डम ऑफ अण्डरस्टैण्डिंग (MOU) में मध्यप्रदेश पॉवर जनरेटिंग कंपनी के प्रबंध संचालक भनजीत सिंह और एसईसीएल के जनरल मैनेजर अरूपदत्त चौधरी ने हस्ताक्षर किए हैं।
अधिकारियों का कहना है कि बिजली उत्पादन के लिए आवश्यक पानी की मात्रा को कम करने के लिए इकाई एयर-कूल्ड कंडेनसर तकनीक का उपयोग करेंगे। "इस परियोजना में 4,665 करोड़ रुपये का निवेश होगा, जिसमें एसईसीएल की हिस्सेदारी लगभग 70त्न होगी। इसकी परिचालन भूमिका एमपीपीजीसीएल द्वारा की जाएगी जबकि स्वामित्व एसईसीएल के पास होगा। बिजली उत्पादन कुछ वर्षों में शुरू होने की संभावना है।
बिजली की किल्लत होगी दूर: वर्तमान समय में देशभर के पावर प्लांट का संचालन राज्य सरकार या औद्योगिक घरानों द्वारा किया जाता है। पावर प्लांट कोयले के लिए पूरी तरह से कोल इंडिया लिमिटेड से संबंधित कंपनियों पर निर्भर रहते हैं। जिससे विद्युत उत्पादन पूरी तरह से कोयले की उपलब्धता पर ही टिका हुआ है। इस हिसाब से अगर जब कोयला उपलब्ध कराने वाली कंपनी खुद ही पावर प्लांट का संचालन करेगी तो कोयले की किल्लत जैसी परिस्थितियों का सामना नहीं करना पड़ेगा।
एसईसीएल ने वर्तमान वित्तीय वर्ष में सभी अंडर ग्राउंड और ओपन कास्ट माइंस से 182 मिलियन टन कोयला उत्पादन करने का लक्ष्य रखा है। अब कंपनी ने 600 मेगावाट बिजली उत्पादन करने के लिए भी मध्य प्रदेश सरकार के साथ समझोता किया है। जिसके बाद अब कंपनी कोयला उत्पादन के साथ ही विद्युत उत्पादन को लेकर भी काम करेगी। जिसके लिए कंपनी को दोनों ही क्षेत्रों में काम करने के लिए कर्मचारियों की आवश्यकता पड़ेगी। जिससे राज्य के लोगों को रोजगार भी मिलेगा।