एक दिन धन्नामल उसे धमकी देता है कि वह अपनी पत्नी को लेकर आए वरना उसका सामान घर के बाहर फेंक दिया जाएगा। इस बात से परेशान होकर प्राणनाथ औरत की खोज में लग जाता है। वह अपने दोस्तों से भी इस संदर्भ में मदद मांगता है। इस बीच मुसीबत में फंसी एक लड़की मंजू देवी से उसकी मुलाकात होती है, जहां कुछ गुंडे उससे छेड़ रहे थे।
प्राणनाथ उसे बचाता है और अपने घर में पत्नी बनने का नाटक करने का प्रस्ताव रखता है। कोई चारा न होने के कारण मंजू उसे स्वीकार कर लेती है। धन्नामल मंजू से प्राणनाथ के परिवार के बारे में पूछताछ करता है, घबराहट में मंजू बोल देती है कि प्राणनाथ का छोटा भाई इंजीनियर है।
धन्नामल अपनी बेटी का रिश्ता उससे तय करने की सोचता है। एक अन्य मित्र ब्रह्मचारी जो की लड़की और लड़के का बिना शादी साथ में रहना अनैतिक समझता है, वह इन चीजों का ढिंढोरा पीटने की धमकी देता है। इन्हीं सब परिस्तिथियों के बीच प्राणनाथ की प्रेमिका के पिता और प्राणनाथ के पिता का आना होता है और सेठ के साथ उनकी नोक-झोंक हो जाती है। अंत में मंजू रहस्य से पर्दा उठाती है और समाज में स्त्रियों की स्थिति का वर्णन करती है।