scriptघर के लालच में अपनी ही चक्रव्यूह में फंस जाता है प्राणनाथ | Prananath is trapped in his own maze of greed | Patrika News

घर के लालच में अपनी ही चक्रव्यूह में फंस जाता है प्राणनाथ

locationभोपालPublished: Jul 14, 2018 08:19:33 am

Submitted by:

hitesh sharma

अभिनयन में नाटक तिल का ताड़ का मंचन

Women in drama stage famous

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भोपाल। जनजातीय संग्रहालय में अभिनयन शृंखला में शुक्रवार दीपक किरार निर्देशित नाटक ‘तिल का ताड़Ó का मंचन हुआ। इस नाटक का लेखन डॉ. शंकर शेष ने किया है। इस नाटक के केंद्र में प्राणनाथ मुख्य पात्र है, जिसके इर्द-गिर्द नाटक चलता है।
प्राणनाथ शहर में नौकरी करता है तथा शहर में ही एक मकान में किराए से रहता है और उसका मकान मालिक सेठ धन्नामल कुंवारे लड़कों को मकान किराए पर नहीं देता। प्राणनाथ उससे झूठ बोलता है कि वह शादीशुदा है और मकान ले लेता है। बस यहीं से वह अपनी झूठ में फंसता चला जाता है। किराए के मकान से बेदखल होने के डर से वह रोज नई-नई कहानियां गढऩे लगता है।

एक दिन धन्नामल उसे धमकी देता है कि वह अपनी पत्नी को लेकर आए वरना उसका सामान घर के बाहर फेंक दिया जाएगा। इस बात से परेशान होकर प्राणनाथ औरत की खोज में लग जाता है। वह अपने दोस्तों से भी इस संदर्भ में मदद मांगता है। इस बीच मुसीबत में फंसी एक लड़की मंजू देवी से उसकी मुलाकात होती है, जहां कुछ गुंडे उससे छेड़ रहे थे।

प्राणनाथ उसे बचाता है और अपने घर में पत्नी बनने का नाटक करने का प्रस्ताव रखता है। कोई चारा न होने के कारण मंजू उसे स्वीकार कर लेती है। धन्नामल मंजू से प्राणनाथ के परिवार के बारे में पूछताछ करता है, घबराहट में मंजू बोल देती है कि प्राणनाथ का छोटा भाई इंजीनियर है।

धन्नामल अपनी बेटी का रिश्ता उससे तय करने की सोचता है। एक अन्य मित्र ब्रह्मचारी जो की लड़की और लड़के का बिना शादी साथ में रहना अनैतिक समझता है, वह इन चीजों का ढिंढोरा पीटने की धमकी देता है। इन्हीं सब परिस्तिथियों के बीच प्राणनाथ की प्रेमिका के पिता और प्राणनाथ के पिता का आना होता है और सेठ के साथ उनकी नोक-झोंक हो जाती है। अंत में मंजू रहस्य से पर्दा उठाती है और समाज में स्त्रियों की स्थिति का वर्णन करती है।

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