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गर्भवती आशा कार्यकर्ता के प्रति तक संवेदनहीन हुआ ये सरकारी अस्पताल, स्टाफ ने सबके सामने सुना दी खरीखोटी

locationभोपालPublished: Jul 22, 2019 04:59:41 pm

तीन बच्चों को खून चढ़वाने जिला अस्पताल लाई थी गर्भवती…

Asha worker

भोपाल। मध्य प्रदेश में स्वाथ्य सुविधाएं को देखकर अब तो आशा कार्यकर्ता तक के आंसु थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। एक ओर जहां अधिकारियों से क्षेत्र में स्वास्थ्य सुधार के नाम पर दवाब बनाया जा रहा है, वहीं अस्पताल में आशा कार्यकर्ताओं को खुलेआम बेइज्जती का शिकार होना पड़ रहा है। ऐसे में मध्यप्रदेश के स्वास्थ्य विभाग के हालात आसानी से समझें जा सकते हैं।

दरअसल ऐसा ही एक मामला मध्य प्रदेश से सामने आया है। जहां एक चार माह से गर्भवती आशा कार्यकर्ता जो अपने काम को सर्वोपरी रखते हुए तीन बच्चों को खून चढ़वाने जिला अस्पताल लाई थी।

ऐसे में वह खुद दो दिन भूखी प्यासी रहकर हितग्राहियों के साथ परेशान होती रही। इसके बाद सोमवार को जब उसने ड्यूटी डॉक्टर से छुट्टी की बात पूछी तो डॉक्टर सहित स्टॉफ ने उसे सबके सामने बुरी तरह से डांट दिया।
सार्वजनिक रूप से हुई बेइज्जती और दो दिन से हुई परेशानियों पर आशा कार्यकर्ता के आंसु झर झर बहने लगे, लेकिन इसके बावजूद वहां मौजद अस्पताल के लोग उसे खरी खोटी सुनाते रहे।

ये मामला मध्य प्रदेश के राजगढ़ के जिला चिकित्सालय का है। जहां चार माह से गर्भवती एकआशा कार्यकर्ता माचलपुर के पास स्थित ग्राम घोघटपुर से रविवार को तीन बच्चों को खून चढ़वाने जिला अस्पताल लाई थी।
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इन्हीं की मेहनत से जिला चार दिनों में 48वें से 31वें पायदान पर पहुंचा ! …
ज्ञात हो जमीन पर काम करने वाली इन्हीं आशा कार्यकर्ताओं और एएनएम ने तेजी से मेहनत करते हुए चार दिन के अंदर राजगढ़ जिले को 48वें स्थान से 31वें पॉयदान पर ला दिया, लेकिन इसके बावजूद जब इनके साथ व्यवहार की बात होती है,तो अधिकारी कर्मचारी इनसे दोयम दर्जे का व्यवहार करते हैं।
जिले को आगे बढ़ाने के लिए अपनी ओर से की गई तमाम मेहनत के सिले के रूप में इन्हें अधिकांश जगह या तो बेइज्जत होना पड़ता है या अत्यधिक परेशान…
जिले की बेहतरी के लिए जब भी वे किसी अस्पताल में रेफर किए गए मरीजों को लाती है, तो उन्हें कई तरह की परेशानियों का भी सामना करना पड़ता है।

आवागमन की परेशानियां अपनी जगह हैं, लेकिन सबसे ज्यादा परेशानी उस समय होती है जब विभाग के ही डॉक्टर या अन्य स्टाफ ऐसे मामलों में गंभीरता दिखाने की वजह उनके साथ दुव्र्यवहार करते है। जिसकी वजह से कई बार वे मरीज को लाने से भी डरती है।

कलेक्टर की बीएमओ को फटकार…
बताया जाता है कि पिछले दिनों जिले की पिछड़ी हालत को देखते हुए कलेक्टर ने सभी बीएमओ को फटकार लगाई थी। जिसके बाद उन्होंने निचले स्तर के कर्मचारियों पर दबाव बनाया। ऐसे में अब मरीज रेफर होकर ब्लाक और जिला स्तर तक पहुंच रहे है, लेकिन उनका इलाज कराने में खासी परेशानी आ रही है।

यह कैसी दस्तक
अस्पताल में इलाज कराने वाले सभी मरीजों को निशुल्क उपचार और दवाओं का प्रावधान है, लेकिन दस्तक अभियान के तहत भेजे जा रहे मरीजों को तक बाहर से दवाएं खरीदनी पड़ रही है।
ऐसे समझें: आखिर क्यों रो पड़ी आशा कार्यकर्ता…
रविवार माचलपुर के पास स्थित ग्राम घोघटपुर की आशा कार्यकर्ता सरिता बैरागी तीन बच्चों को खून चढ़वाने जिला अस्पताल लाई। यहां आते ही उसे बहुत परेशानियों का सामना करना पड़ा।
सोमवार को जब ड्यूटी डॉक्टर से छुट्टी की बात पूछने लगी तो डॉक्टर सहित स्टॉफ ने उसे सबके सामने डांट दिया। सार्वजनिक रूप से हुई बेइज्जती और दो दिन से हुई परेशानियों पर आशा कार्यकर्ता के आंसु थमने का नाम नहीं ले रहे थे। सबसे बड़ी बात आशा खुद चार माह से गर्भवती है और भूखी प्यासी दो दिन से हितग्राहियों के साथ परेशान हो रही थी।

दस्तक अभियान में रेफर बच्चों को अस्पताल तक लाने की कोई प्रोत्साहन राशि आशाओं को नहीं मिलती है। बावजूद बच्चों के परिजन आशा पर दबाव बनाकर साथ लाते है। उस पर अस्पताल प्रबंधन द्वारा बुरा बर्ताव किया जाना दुखद है। इससे पूरे जिले की आशा कार्यकर्ताओं में रोष है।
– माधुरी दांगी, जिलाध्यक्ष आशा संगठन राजगढ़
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