एक गाय पर डेढ़ लाख से ज्यादा रुपए खर्च होंगे, जिसमें उनके खान-पान, रहन-सहन और स्वास्थ्य का पूरा ध्यान रखा जाएगा। केंद्र सरकार ने अपनी इस महत्वाकांक्षी योजना के लिए प्रदेश को दस करोड़ रुपए आवंटित कर दिए हैं। इसके निर्माण की नोडल एजेंसी मप्र राज्य पशुधन एवं कुक्कुट विकास निगम को बनाया गया है। पशुपालन विभाग ने निगम को पांच सौ एकड़ जमीन हैंडओवर कर दी है। गोकुल ग्राम का शिलान्यास ३० जनवरी को संभावित है। अगले एक साल में गोकुल ग्राम बनकर तैयार हो जाएगा।
– इस नस्ल की गाय रहेंगी : गोकुल ग्राम में गिर,साहिवाल और थारपारकर जैसी दुर्लभ और दुधारु नस्ल की गायों का संरक्षण और संवर्धन किया जाएगा। गुजरात से गिर, पंजाब से साहिवाल और राजस्थान से थारपारकर नस्ल की गाय खरीदी जाएंगी। इन गायों की कीमत ३० से ८० हजार रुपए तक होती है। केंद्र सरकार के इस पूरे प्रोजेक्ट का मकसद गाय की लुप्त होती जा रही दुर्लभ नस्लों का संरक्षण करना है।
– गौ उत्पाद केंद्र बनेगा गोकुल ग्राम : गोकुल ग्राम को गाय उत्पाद का केंद्र बनाया जाएगा। यहां बायोगैस प्लांट से बिजली उत्पादन किया जाएगा। वर्मी कंपोस्ट यानी अच्छी गुणवत्ता की खाद तैयार की जाएगी। गौमूत्र से फिनायल और दवाएं बनाई जाएंगी। गोकुल ग्राम को गौ उत्पाद केंद्र के साथ-साथ गाय अनुसंधान केंद्र के रुप में भी विकसित किया जाएगा।
गाय बनी सियासी मुद्दा : देश और प्रदेश में गाय एक सियासी मुद्दा बन कर राजनीति के केंद्र में आ गई है। गाय की चिंता राज्य सरकारों के साथ केंद्र सरकार भी कर रही है। चुनाव आते ही मोदी की तीन साल पुरानी घोषणा आनन-फानन में पूरी कर दी गई। साफ्ट हिंदुत्व के रास्ते पर आगे बढ़ रही कांग्रेस ने भी प्रदेश में गौशाला को अहम मुद्दा बना दिया है।
कमलनाथ सरकार ने वचन पत्र में हर पंचायत में गौशाला खोलने की बात कही है और प्रदेश में उस पर काम भी शुरु हो गया है। लोकसभा चुनाव के पहले मोदी के फंड को गाय पर कमलनाथ लुटाएंगे। सवाल ये है कि इसका सियासी फायदा आखिर किसके हिस्से में आएगा।
सागर में बनने वाले गोकुल ग्राम का जल्द ही शिलान्यास किया जाएगा। यह गोकुल ग्राम गायों की देखभाल और गाय उत्पाद के मॉडल के रुप में अपनी पहचान बनाएगा। हम गायों की पूरी चिंता कर रहे हैं। – लाखन सिंह यादव पशुपालन मंत्री,मप्र –