बैठक में बात उठी कि भोपाल नगर निगम को दो हिस्सों में बांटने और इंदौर सहित अन्य ९ निकायों के परिसीमन का मामला न्यायालय में अटका है। एेसे में इन निकायों को छोड़कर शेष निकायों के चुनाव कराए जा सकते हैं। मुख्यमंत्री ने मंत्री जयवद्र्धन से कहा कि निकाय चुनाव जल्दी कैसे हो सकते हैं, इसका पूरा अध्ययन करके कैलेंडर बनाकर लाएं, उसके बाद निर्णय लेंगे।
मंत्री के निर्देश के बाद नगरीय प्रशासन के अधिकारी राज्य निर्वाचन आयोग भी पहुंचे। उन्होंने आयोग से जल्द चुनाव करने की जानकारी ली। आयोग के अधिकारियों ने बताया कि १ जनवरी २०२० की स्थिति में मतदाता सूची अपडेट करने का काम चल रहा है। जल्द ही इस सूची को निकाय वार बनाया जाएगा।
दरअसल, कांग्रेस नहीं चाहती कि गर्मियों में सामान्यत: होने वाली परेशानियों का असर निकाय चुनाव पर पड़े। गर्मी में जल संकट और बिजली की आपूर्ति बड़ी परेशानी रहती है। इन दोनों ही मोर्चों पर अक्सर सरकार को आलोचना झेलना पड़ती है। इसलिए सरकार चाहती है कि इससे पहले ही निकाय चुनाव हो जाए।
इसलिए परिसीमन का काम जल्द कराने के प्रयास है। इंदौर में सबसे ज्यादा परेशानी है, क्योंकि परिसीमन को लेकर सबसे ज्यादा आपत्तियां इंदौर में है। भोपाल में पूरा मामला राजभवन पहुंचने के बाद कोर्ट पहुंच गया है। इस कारण सरकार को इंतजार है कि कोर्ट का फैसला आ जाए, जिसके बाद यहां चुनाव कराए जा सके।
इस बार कांग्रेस ने महापौर का प्रत्यक्ष चुनाव बंद करके पार्षदों में से ही महापौर चुनने का नियम ला दिया है। इसका भाजपा लगातार विरोध कर रही है। एेसे में कांग्रेस सारे समीकरण समझकर ही निर्णय करना चाहती है।
इन निकायों के चुनाव होंगे बाद में
भोपाल नगर निगम को दो हिस्सा बांटने का फैसला होने तक यहां चुनाव अटके रहेंगे। वहीं इंदौर नगर निगम, मलाजखंड, करेली, नरसिंहपुर, जयसिंहनगर, कुरावर, छापीहेड़ा, पचौर सहित एक अन्य निकाय में परिसीमन विवाद का मामला राज्यपाल सहित न्यायालय में विचाराधिन है। इनका निराकरण होने के बाद ही सरकार चुनाव कराएगी।
भोपाल नगर निगम को दो हिस्सा बांटने का फैसला होने तक यहां चुनाव अटके रहेंगे। वहीं इंदौर नगर निगम, मलाजखंड, करेली, नरसिंहपुर, जयसिंहनगर, कुरावर, छापीहेड़ा, पचौर सहित एक अन्य निकाय में परिसीमन विवाद का मामला राज्यपाल सहित न्यायालय में विचाराधिन है। इनका निराकरण होने के बाद ही सरकार चुनाव कराएगी।
इधर, निकाय चुनाव में प्रशासक- दूसरी ओर दो दर्जन से ज्यादा निकायों में अध्यक्ष को हटाने का निर्णय सरकार कर चुकी है। निकायों में प्रशासक बैठाए गए हैं, जबकि बाकी जगह भी जहां पर अध्यक्षों का कार्यकाल पूरा हो रहा है, वहां पर भी प्रशासक के जरिए ही कामकाज कराया जाएगा। इसलिए सरकार ने चुनाव अप्रैल में कराने के प्रयास शुरू किए हैं। मई-जून में गर्मी चरम पर होती है, इस कारण अप्रैल तक चुनाव हो जाएंगे, तो कांग्रेस को इसका फायदा मिल सकता है।