scriptभोपाल नवाब के परिवार की जमीन सीलिंग एक्ट के दायरे में लाने की तैयारी | Preparations to bring the land of Bhopal Nawab's family under the Sea | Patrika News

भोपाल नवाब के परिवार की जमीन सीलिंग एक्ट के दायरे में लाने की तैयारी

locationभोपालPublished: Mar 05, 2020 08:35:31 pm

भोपाल नवाब की सम्पत्ति के वर्तमान वारिसों में शर्मिला टैगोर, सैफ अली खान, सबा और सोहा अली हैं, दूसरी पार्टी में नवाब पटौदी की बहनें साबिया सुल्तान और सालेहा सुल्तान हैं।

भोपाल नवाब के वारिस शर्मिला टैगोर, सैफ अली खान, सबा, सोहा के वकील ने की आपत्ति, कहा- अपर आयुक्त को नहीं है सुनवाई के अधिकार

भोपाल नवाब के वारिस शर्मिला टैगोर, सैफ अली खान, सबा, सोहा के वकील ने की आपत्ति, कहा- अपर आयुक्त को नहीं है सुनवाई के अधिकार

भोपाल. मध्यप्रदेश सरकार भोपाल नवाब के परिवार की जमीन को सीलिंग एक्ट के दायरे में लाने की तैयारी कर रही है। इसके लिए साल 1971 की स्थिति में तीन जिलों भोपाल, रायसेन और सीहोर के जिला कलेक्टरों से खेती की जमीन के रेकॉर्ड का सर्वे कराया जा रहा है। भोपाल नवाब सम्पत्ति के वर्तमान वारिसों में शर्मिला टैगोर, सैफ अली खान, सबा और सोहा अली हैं। दूसरी पार्टी में नवाब पटौदी की बहनें साबिया सुल्तान और सालेहा सुल्तान हैं। इन सभी की प्रॉपर्टी भोपाल और सीहोर में कई जगह पर फैली हैं।
नवाब की कहां कितनी संपत्ति
जानकारी के अनुसार नवाब की संपत्ति बेहटा में 247 एकड़, नयापुरा में 16 एकड़, हलालपुरा 79 एकड़, लाऊखेड़ी 123 एकड़, निशातपुरा 109 एकड़, कोटरा सुल्तानाबाद 81 एकड़, धरमपुरी 265 एकड़, निशातपुरा में 109 एकड़, शाहपुरा 621 एकड़, बोरबन 102 एकड़, लाऊखेड़ी में 123 एकड़ बताई जा रही है। इसके अलावा नवाब परिवार की रायसेन चिकलोद और सीहोर में भी सैकड़ों एकड़ संपत्ति बताई गई है। इसके अलावा भी कई जगह सम्पत्ति हैं जिनपर कब्जे भी हो गए हैं।
जानकारी छिपाने का आरोप
सीलिंग एक्ट के दौरान नवाब के वारिसों पर कई जगह जमीनों की जानकारी छिपाने के आरोप हैं। इस वजह से जमीनें सीलिंग एक्ट में नहीं आ पाई थीं। नवाब के वरिस शर्मिला, सैफ अली खान, सोहा, सबा व अन्य की जमीनों को लेकर अपर आयुक्त कोर्ट में मामला चल रहा है। दरअसल तहसीलदार गौहरगंज की एक रिपोर्ट के आधार पर संभागायुक्त भोपाल की तरफ से 17 जनवरी 2019 को नोटिस जारी कर नवाब के वारिसों को सम्पत्ति की जानकारी देने के आदेश दिए थे। इसके बाद कई तारीखें पड़ीं, कुछ जानकारी अधिवक्ताओं की तरफ से पेश की गई। अधिवक्ता पियूष पाराशर की ओर से अपर आयुक्त कोर्ट में चल रही सुनवाई पर आपत्ति पेश की गई है। मप्र राजस्व संहिता के 2018 के नियमों के तहत आपर आयुक्त कोर्ट को इस सुनवाई का अधिकार ही नहीं है। कोर्ट ने इसे पेंडिंग रखा है। सुनवाई अगली तारीख पर होगी।
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