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उद्योगों का कर माफी का दबाव, सरकार कर्ज लेने को तैयार

locationभोपालPublished: Sep 16, 2020 12:00:09 am

Submitted by:

anil chaudhary

– उद्योगों का तर्क : तीन महीने पूरी तरह बंद रह उत्पादन- कर्ज इसलिए: केंद्र ने जीएसटी की भरपाई से किया इनकार

GST-- टेक्नोलॉजी के कारण भविष्य में जीएसटी की अनुपालना में सीए की जरुरत नहीं होगी

GST– टेक्नोलॉजी के कारण भविष्य में जीएसटी की अनुपालना में सीए की जरुरत नहीं होगी

खजाने की खराब माली हालत के बीच उद्योगों ने सरकार पर कर माफी का दबाव बनाया है। केंद्र सरकार ने राज्यों से जीएसटी की भरपाई से इनकार किया है। वहीं, लॉकडाउन के दौरान राजस्व वसूली भी नहीं हो सकी, इसलिए सरकार की माली हालत और खराब होती गई। अब सरकार पर एक ओर राहत देने का दबाव है तो दूसरी ओर वह कर्ज लेने की तैयारी कर रही है।

 

बस ऑपरेटर के बाद उद्योगों ने बनाया कर माफी का दबाव
भोपाल. प्रदेश में बसों का पांच महीने का कर माफ होने के बाद उद्योगों ने भी लॉकडाउन पीरियड का कर माफ करने सहित अन्य छूट के लिए आवाज बुलंद करना शुरू कर दिया है। उद्योगों का दबाव है कि लॉकडाउन पीरियड से लेकर अभी तक का सरचार्ज, स्टांप ड्यूटी और अन्य कर माफ किया जाए। इसे लेकर सरकार भी विचार कर रही है, क्योंकि बेपटरी हुई अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए उद्योगों को बूस्टर डोज की जरूरत है।
दरअसल, प्रदेश में अप्रेल और मई में पूरी तरह लॉकडाउन रहा है। उस दौरान अत्यावश्यक वस्तुओं को छोड़कर बाकी सारी सामग्री का उत्पादन ठप रहा। उस पीरियड की बिजली के सरचार्ज की वसूली स्थगित की गई थी। इसके तहत उद्योगों को अक्टूबर से बिजली का पिछला सरचार्ज देना है। अब उद्योगों ने इस बिजली के सरचार्ज को माफ करने के साथ स्टांप ड्यूटी और अन्य कर भी माफ करने की मांग की है। इसे लेकर विभागों में अनेक प्रस्ताव पेश हुए हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के स्तर पर इस मामले में अब फैसला लिया जाना है।
– अर्थव्यवस्था पर संकट
कोरोना वायरस के कारण प्रदेश में अर्थव्यवस्था पर संकट मंडराया हुआ है। अप्रेल और मई में सरकार का राजस्व पूरी तरह ठप रहा। जून, जुलाई और अगस्त में भी 30 फीसदी से ज्यादा राजस्व नहीं आ सका है। इस कारण अर्थव्यवस्था गड़बड़ा रही है, इसलिए सरकार चाहती है कि उद्योगों का संचालन बेहतर तरीके से हो, ताकि प्रदेश के कारोबार में मनी ट्रांजेक्शन बढ़े।
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00 जीएसटी क्षतिपूर्ति के बराबर कर्ज के फॉर्मूले पर तैयार मध्यप्रदेश
भोपाल. जीएसटी की भरपाई से केंद्र सरकार के इनकार के बाद राज्य सरकार फिर कर्ज लेगी। यह कर्ज जीएसटी क्षतिपूर्ति के बराबर हो सकता है। असल में केंद्र ने राज्यों को दो विकल्प सुझाए थे, जिसमें एक यह भी है। इसमें विशेष व्यवस्था के तहत आरबीआइ से कर्ज मिलेगा।
समझौते के तहत जीएसटी क्षतिपूर्ति की भरपाई पांच साल तक की जाना थी। केंद्र ने वित्तीय वर्ष 2017-18 से राशि देना शुरू की, लेकिन शुरुआत में ही इसमें कटौती की जाने लगी। 3462 करोड़ क्षतिपूर्ति के मिलना थे, लेकिन मिले सिर्फ 2511 करोड़ रुपए। यानी 951 करोड़ रुपए रोककर कहा गया कि उसे वर्ष 2018-19 में दिया जाएगा, लेकिन अगले वित्तीय वर्ष में भी निर्धारित से कम राशि दी गई। वर्ष 2018-19 में 3253 करोड़ रुपए मिलने चाहिए थे, लेकिन 386 करोड़ अगले वित्तीय वर्ष के लिए शिफ्ट कर दिए गए। इसी तरह वित्तीय वर्ष 2019-20 में 4097 करोड़ के बजाय मात्र 2600 करोड़ रुपए ही मिले। शिफ्ट की गई राशि की कोई चर्चा ही नहीं हुई। जबकि चालू वित्तीय वर्ष में कोई क्षतिपूर्ति नहीं मिली।
– सेस की राशि से होगी भरपाई
केंद्र के सुझाए फॉर्मूले के तहत जीएसटी क्षतिपूर्ति राशि के बराबर राज्य को आरबीआइ से मिलेगा। यह कर्ज चुकाने के लिए राज्य तय अवधि से ज्यादा समय तक क्षतिपूर्ति सेस ले सकेंगे। इसका लाभ यह होगा कि राज्य पर ब्याज का बोझ नहीं पड़ेगा।
– कोरोना काल में 10 बार कर्ज ले चुकी सरकार
राज्य सरकार कोरोना काल में 10 बार में आठ हजार करोड़ रुपए का कर्ज ले चुकी है। हाल ही में एक हजार करोड़ का कर्ज लिया गया। हालांकि, यह कर्ज विकास कार्यों के नाम पर लिया गया है।

 

– जीएसटी क्षतिपूर्ति के बराबर कर्ज के फॉर्मूले पर तैयार मध्यप्रदेश
जीएसटी की भरपाई से केंद्र सरकार के इनकार के बाद राज्य सरकार फिर कर्ज लेगी। यह कर्ज जीएसटी क्षतिपूर्ति के बराबर हो सकता है। असल में केंद्र ने राज्यों को दो विकल्प सुझाए थे, जिसमें एक यह भी है। इसमें विशेष व्यवस्था के तहत आरबीआइ से कर्ज मिलेगा।
समझौते के तहत जीएसटी क्षतिपूर्ति की भरपाई पांच साल तक की जाना थी। केंद्र ने वित्तीय वर्ष 2017-18 से राशि देना शुरू की, लेकिन शुरुआत में ही इसमें कटौती की जाने लगी। 3462 करोड़ क्षतिपूर्ति के मिलना थे, लेकिन मिले सिर्फ 2511 करोड़ रुपए। यानी 951 करोड़ रुपए रोककर कहा गया कि उसे वर्ष 2018-19 में दिया जाएगा, लेकिन अगले वित्तीय वर्ष में भी निर्धारित से कम राशि दी गई। वर्ष 2018-19 में 3253 करोड़ रुपए मिलने चाहिए थे, लेकिन 386 करोड़ अगले वित्तीय वर्ष के लिए शिफ्ट कर दिए गए। इसी तरह वित्तीय वर्ष 2019-20 में 4097 करोड़ के बजाय मात्र 2600 करोड़ रुपए ही मिले। शिफ्ट की गई राशि की कोई चर्चा ही नहीं हुई। जबकि चालू वित्तीय वर्ष में कोई क्षतिपूर्ति नहीं मिली।
– सेस की राशि से होगी भरपाई
केंद्र के सुझाए फॉर्मूले के तहत जीएसटी क्षतिपूर्ति राशि के बराबर राज्य को आरबीआइ से मिलेगा। यह कर्ज चुकाने के लिए राज्य तय अवधि से ज्यादा समय तक क्षतिपूर्ति सेस ले सकेंगे। इसका लाभ यह होगा कि राज्य पर ब्याज का बोझ नहीं पड़ेगा।
– कोरोना काल में 10 बार कर्ज ले चुकी सरकार
राज्य सरकार कोरोना काल में 10 बार में आठ हजार करोड़ रुपए का कर्ज ले चुकी है। हाल ही में एक हजार करोड़ का कर्ज लिया गया। हालांकि, यह कर्ज विकास कार्यों के नाम पर लिया गया है।

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