प्राइवेट कंपनियां बेच रहीं अमानक उर्वरक
भोपालPublished: Jun 20, 2020 02:59:49 pm
किसान संगठनों ने मुख्यमंत्री से शिकायत
प्राइवेट कंपनियां बेच रहीं अमानक उर्वरक
भोपाल : किसान संगठनों ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से शिकायत की है कि अमानक खाद बनाने और बिक्री करने वाले ब्रांड सैंपलिंग के बाद अधिकांश नमूने बदल देते हैं और बदले हुए सैंपल को लैब में जांच के लिए भेजते हैं जिससे वो लैब में पास हो जाता है। इसमें उनकी मदद विभाग के लोग भी कर रहे हैं। कृषि सलाहकार समिति के पूर्व सदस्य और किसान नेता केदार सिरोही ने मांग की है कि जिस जगह से एसएसपी उर्वरक के नमूने लिए गए हैं उस जगह पर स्पेशल टॉस्क फोर्स बनाकर 30 फीसदी नमूनों की रीसैंपलिंग की जाए और फिर उसकी टेस्टिंग कराई जाए। किसानों ने कहा कि सराकर अमानक और नकली एसएसपी उर्वरक की गुणवत्ता में सुधार के लिए ठोस कदम उठाए।
किसान संगठनों की सरकार से मांग :
किसानों का कहना है कि उर्वरक की एक बोरी में 16 प्रतिशत फस्फेट होना चाहिए लेकिन इनमें 3 से लेकर 8 फीसदी फास्फेट ही आ रहा है। कृषि विभाग सैंपलिंग करता है तो नमूनों को बदलकर मास्टर नमूने लैब में भेजे जाते हैं। लैब में 20 हजार में एक नमूना पास किया जाता इसके लिए कृषि विभाग कम्पनी को कोड देता है। कम्पनी का आदमी लैब के अधिकारी को कोड देता है और नमूना पास होता है। 60 फीसदी नमूनों की जांच नही होती। कम्पनियों को 170 रु प्रति बैग की सब्सिडी सरकार से मिलती है। एक बोरी का बाजार भाव 300 रु है जबकि कंपनियां इनको बाजार में महंगा बेचती हैं जिससे किसानों को भारी नुकसान होता है।