भवनों में होंगे दो पावर ग्रिड
शासकीय भवनों में दो पावर ग्रिड लगाए जाएंगे। सोलर लाइट से आपूर्ति के अलावा अगर और बिजली की जरूरत कार्यालयों को पड़ती है तो वे विद्युत वितरण कंपनी के कनेक्शन से ले सकेंगे। सोलर पैनल लगाने वाली कंपनियां 25 साल तक बिजली बिल वसूली के अलावा उसके रख-रखाव का भी काम करेगी। इसके बाद नए सिरे से दोबारा टेंडर जारी किए जाएंगे, क्योंकि सोलर पैनल की आयु इससे अधिक नहीं होती है।
जिला स्तर पर होगा समूह
सोलर लाइट लगाने के लिए कंपनियां जिला स्तर पर एक समूह बनाएंगी। पूरे जिले के शासकीय भवनों में लाइट लगाने का काम एक ही कंपनी को दिया जाएगा। इस व्यवस्था से सोलर प्लांट लगाने की निविदा में बड़ी-बड़ी कंपनियां ही हिस्सा ले सकेंगी। बड़ी कंपनियां बेहतर ढंग से काम करने के साथ ही अच्छे ढंग से रख-रखाव भी करेंगी। कंपनियां अपना टोल फ्री नम्बर भी जारी करेगी जिससे किसी तरह से गड़बड़ी होने पर शिकायत दर्ज कराई जा सके।
मात्र दस फीसदी शासकीय भवनों में सोलर लाइट
वर्तमान में प्रदेश के मात्र दस फीसदी शासकीय भवनों में सोलर टाइट लगाई गई है। इन भवनों में सोलर लाइट सरकार की अनुदान राशि पर लगाई गई है, इसके लिए सरकार ने 45 प्रतिशत अनुदान दिया है। सरकार ने अब घरों की छत पर सोलर लाइट लगाने के लिए अनुदान देना पूरी तरह से बंद कर दिय है। अब बिना किसी अनुदान के कंपनियों से शून्य निवेश पर रेस्को मॉडल से सोलर लाइट लगाने के योजना तैयार की गई है।