ग्रामीण और शहरी मठ मंदिरों से जुड़ी ऐसी ही कई समस्याओं का सामना कर रहे हैं, संत, महंत और पुजारी। एक ओर शासन मंदिरों का सरकारीकरण कर रहा है, तो दूसरी ओर कई पुराने मंदिर समस्याओं से ग्रस्त है। अपनी समस्याओं को लेकर रविवार को शीतलदास की बगिया में प्रदेश के विभिन्न स्थानों से जुटे साधु संतों ने धरना शुरू कर दिया। शाजापुर के दिल्लौरी के रहने वाले विष्णुदास ने बताया कि उनकी 0.04 हेक्टेयर जमीन पर 30 साल से गांव के कुछ लोगों ने कब्जा कर रखा है। इसकी शिकायत के बाद मंदिर की जमीन से अतिक्रमण हटाने के बजाए तहसीलदार ने विष्णुदास को पुजारी पद से हटाने का आदेश दे दिया और 2015 से मानदेय भी नहीं दे रहे हैं। विष्णुदास ने आरोप लगाते हुए कहा कि स्थानीय पटवारी और तहसील कार्यालय के दो कर्मचारियों ने मानदेय निकालने के नाम पर मुझसे 5 हजार रुपए मांगे।
सरकारी कागजों में दर्ज नहीं मंदिर
रामनगर इछावर से आए नरसिंह आश्रम के महंत धर्मदास बताते हैं कि उनका मंदिर और आश्रम 50 साल पुराना है। यहां साल में कई आयोजन होते हैं, बड़ी संख्या में भक्त आते हैं। साल में एक बार महायज्ञ का आयोजन भी होता है, लेकिन किसी भी सरकारी कागज में मंदिर का नाम दर्ज नहीं है, हम इसके लिए कई सालों से प्रयास कर रहे हैं, कई आवेदन दिए, लेकिन इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया गया।
मंदिर की जमीन पर पेड़ लगाए तो उखाड़ दिए
रायसेन जिले के रेसलपुर आश्रम और बालवीर हनुमान मंदिर के शंकरदास त्यागी ने बताया कि हमारे पास मंदिर की ही तीन एकड़ कृषि भूमि है, जो गांव से ही लगी है। पर्यावरण सुरक्षा की दृष्टि से हम यहां वृक्षारोपण करना चाहते हैं, इसके लिए जिला प्रशासन से 200 पौधे भेजे गए थे, जिसे लगाने पर गांव के ही कुछ लोगों ने वे पौधे उखाडक़र फेक दिए, कुछ लोग मंदिर की जमीन पर कब्जा करने की नियत से यह सब कर रहे हैं। इसकी सूचना हमने भोजपुर चौकी को भी दी थी, लेकिन इस संबंध में कोई कार्रवाई नहीं हुई।
अपनी मांगों को लेकर बुलंद की आवाज
अखिल भारतीय संतजन परमार्थ सोसायटी के बैनर तले संत पुजारियों ने शीतलदास की बगिया में धरना प्रदर्शन किया, और अपनी मांगों को लेकर आवाज बुलंद की। संत पुजारियों ने मठ मंदिरों से कलेक्टर प्रबंधन समाप्त करने, संत पुजारियों को प्रबंधक बनाने, मंदिर भूमियों का अधिग्रहण बंद करने सहित अन्य मांगों को लेकर यह धरना दिया। सोसायटी के महंत रामगिरी महाराज डंडा वाले बाबा ने बताया कि जब तक हमारी मांग पूरी नहीं होती, तब तक हमारा धरना जारी रहेगा। रात में भी संत महंत मंदिर परिसर में ही रुके रहे और यहीं भोजन बनाकर खाना खाया। रात्रि तक संत पुजारियों की बैठक जारी रही।