ऐसे में उन स्कूलों में भी ऑनलाइन पद खाली बता दिए जहां शिक्षकों की जरूरत ही नहीं। राजधानी में करीब 600 अतिथि शिक्षक हैं। वास्तविक और पोर्टल के आंकड़े अलग-अलग होने के कारण किसे सही माने ये समस्या खडी हो गई है।
केस- 1
ऑनलाइन प्क्रया के तहत सारिका जैन ने संस्कृत शिक्षक के लिए आवेदन किया। उन्हें राजधानी के 14 स्कूलों में जगह बताई गई। लेकिन ये स्कूल पहुंची तो पता लगा पद खाली ही नहीं है। ये स्थिति सभी स्कूलों में बनी।
केस 2
पांच साल से जहांगीराबाद में नूरजहां उर्दू विषय पढ़ा रही हैं। ऑनलाइन प्रक्रिया के तहत अब उस स्कूल में कोई खाली पद ही नहीं बताया गया जहां वे अब तक थी। जबकि प्रायार्य वहां पद होने की बात कह रहे हैं। प्रक्रिया केे तहत ये अब बेरोजगार हो गई हैं।
स्कूलों की पुरानी जानकारी भेजने से बढ़ी परेशानी, पहुंच रहीं शिकायतें
स्कूलों में विषयवार शिक्षकों के खाली पदों का सही ब्यौरा जिलों से न भेजे जाने के कारण ये परेशानी आ रही है। जिला स्तर पर जो जानकारी दी गई उसे अपडेट ही नहीं किया गया। यही कारण है कि जिन स्कूलों में पद ही नहीं उनमें भी अतिथि शिक्षकों को नौकरी के लिए भेजा जा
रहा है।
जिले में एक हजार से ज्यादा सरकारी स्कूल हैं। इनमें से जहां खाली पद हैं उन पर अतिथि शिक्षकों के जरिए शिक्षण व्यवस्था की जा रही है। राजधानी में तो इनकी संख्या कम है लेकिन आसपास के ग्रामीण इलाकों में बढ़ी संख्या में अतिथि शिक्षकों के भरोसे काम चल रहा है। इनमें परेशानी सबसे ज्यादा है। गलत जानकारी होने से स्कूल दर स्कूल अभ्यर्थी भटक रहे हैं।
ये है प्रक्रिया
लोक शिक्षण संचालनालय में 27 जुलाई को आदेश जारी किया। जिसके तहत अतिथि शिक्षकों की ऑनलाइन भर्ती की प्रक्रिया रखी गई। इससे पहले तक स्कूल स्तर पर प्राचार्य को ही इसके अधिकार थे। इस आदेश के बाद जो जानकारी दी गई उसके तहत कई ऐसे मामले भी आए स्कूल में शिक्षक काम करने के बाद भी उन्हें खाली बताया गया।
आनन फानन बुलाई बैठक
गलती सामने आने के बाद मामले विभाग ने आनन फानन बैठक बुलाई हैं। इसमें प्रचार्यों को तलब किया गया है। इनके जरिए जानकारी लेकर इसे सुधारा जाएगा। जिम्मेदारों ने बताया कि उनके पास इस संबंध में अब तक कई शिकायतें आ चुकी हैं।
उपेन्द्र कौशल, अध्यक्ष मप्र अध्यापक संगठन