सूत्रों की मानें तो छोटे वन्यजीवों का शिकार भी किया जा रहा है। इस जंगल में अवैध प्रवेश के चलते शाकाहारी प्राणी भी कम हो रहे हैं। वन विभाग के अधिकारियों ने भी इस बात को माना है। वन क्षेत्र में काफी अंदर घुसकर शराब, जुआ और पिकनिक पार्टियां आयोजित की जा रही हैं, जिससे यह पता नहीं चले कि क्या हो रहा है। पत्रिका एक्सपोज के स्टिंग में इस बात का खुलासा हुआ कि सेटिंग करने के बाद यहां कुछ भी करते रहो कोई रोकने-टोकने वाला नहीं है।
ये था नजारा
पत्रिका एक्सपोज संवाददाता को यह खबर थी कि कोलार की ओर कठौतिया बैरियर के पास रातापानी जंगल में वनकर्मी सेटिंग कर शराब, जुआ और पिकनिक पार्टियां आयोजित करवा रहे हैं। संवाददाता एक साथी के साथ रातपानी सेेंक्चुरी के मेन गेट स्थित वन चौकी पहुंचा तो वहां एक-दो वनकर्मी आराम कर रहे थे। जंगल में दो-चार जगह लोग आग जलाकर नॉन-वेज पका रहे थे और शराब चल रही थी।
इसके बाद संवाददाता राबियाबाद रोड पर मुड़ गया। इस रोड पर कठौतिया गांव से पहले बने वन विभाग के बैरियर से पहले सीधे हाथ पर जंगल क्षेत्र में कई कारें और मोटरसाइकिलें खड़ी थीं। आवाजें भी आ रही थीं, लेकिन आसपास कोई दिखाई नहीं दे रहा था। बैरियर खाली पड़ा था, जबकि यह बताया गया कि इस बैरियर पर हेमंत और मेहताब दो व्यक्तियों की ड्यूटी रहती है।
एक पेड़ पर संवाददाता ने चढ़कर देखा तो काफी दूर बरसाती नदी के पाट में कई लोग अलग-अलग दलों में दिखाई दिए। इस जगह को परपटा कहा जाता है। संवाददाता एक काल्पनिक व्यक्ति की तलाश करते हुए वहां पहुंचा और शराब, जुआ पार्टी कर रहे लोगों से बहाना बनाकर बात की।
जुआरी: (आपस में) इनमें से कोई है क्या? (पिकनिक कर रहे लोगों की तरफ इशारा करते हुए) उनमें है क्या? रिपोर्टर: नहीं, नहीं.. वो परिवार के साथ नहीं होगा, सिंगल है।
जुआरी: दो-तीन लड़के आधा घंटे पहले जंगल की तरफ गए थे। कितने बड़े थे?
जुआरी : तीन लड़के उस तरफ गए थे, उनमें से दो वापस आए थे, एक नहीं आया था।
रिपोर्टर: अच्छा ठीक है। (इसके बाद रिपोर्टर वहां से चला आया)।
रातापानी डीएफओ को निर्देशित किया जा रहा है। ऐसी गतिविधियों पर सख्त अंकुश लगाया जाएगा और कर्मचारियों के दोषी पाए जाने पर नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।
– रवीन्द्र सक्सेना, सीसीएफ, भोपाल वन वृत्त