वैज्ञानिक बोलेजब सेंसर है तो खुदाई क्यों?
मेपकास्ट के वैज्ञानिक डीके आर्या का कहना है कि अब ऐसी तकनीक आ गई है कि जमीन में दस से पंद्रह मीटर गहराई तक दबी वस्तुओं, लाइन, केबल की लोकेशन पता की जा सकती है। ग्राउंड पेनेट्रेटिंग राडार से जमीन के अंदर लाइन, केबल के स्टेटस का एड्रेस कर सिग्नल बाहर सिस्टम पर आ जाता है। मेपकास्ट ने नगर निगम, हाउसिंग बोर्ड, विकास प्रधिकारण समेत अन्य एजेंसियों को इसके उपयोग की सलाह दी थी, लेकिन किसी ने ध्यान नहीं दिया।
कोई क्षेत्र ऐसा नहीं जहां परेशानी न हो
– मेट्रो प्रोजेक्ट के लिए एमपी नगर, साकेत नगर, अवधपुरी में खुदाई की गई। इसमें कई जगह पक्की सड़कें तोड़ी जा रही हैं। मिट्टी परीक्षण के साथ संबंधित स्थान में पाइप लाइन व केबल की जांच भी की जा रही है।
-अमृत प्रोजेक्ट के तहत कोलार डैम से भोपाल तक और शहर के अलग-अलग क्षेत्रों में फीडर लाइन बिछाने का काम चल रहा है। खुदाई से पहले जमीन के अंदर कोई लाइन या केबल है क्या, इसका पता नहीं लगाया जाता है। एक किमी के दायरे में इसके लिए तीन जगह पर खुदाई की जाती है। कोलार में गेहूंखेड़ा से लेकर जेके हॉस्पिटल और प्रोफेसर कॉलोनी, शाहपुरा क्षेत्र में रहवासियों को खुदाई के कारण समस्या हो रही है।
-बावडिय़ा कलां रेलवे ओवरब्रिज होशंगाबाद की ओर उतर रहा है, यहां नर्मदा की बड़ी लाइन आ रही है। अब लाइन साइकिल ट्रैक के नीचे किस स्थान व कितनी गहराई में है, इसके लिए खुदाई की जा रही है। सुभाष नगर आरओबी व इससे पहले वीर सावरकर ब्रिज के लिए भी ऐसा ही किया गया था।