ये हाल तब है, जब नगरीय प्रशासन मंत्री माया ङ्क्षसह एमबीएल को ब्लैक लिस्टेड करने को कह चुकी हैं। पूर्व प्रोजेक्ट इंचार्ज इंजीनियर पॉल एक्का की रिपोर्ट में कंपनी के खिलाफ धारा तीन की कार्रवाई की अनुशंसा की जा चुकी है। बोर्ड ऑफ डायरेक्टर की बैठक में अफसरों ने ऐसे किसी प्रस्ताव को शामिल ही नहीं होने दिया, बल्कि इसके स्थान पर कीलनदेव के 222 फ्लैट्स के दामों में 10 प्रतिशत तक इजाफा करने का प्रस्ताव मंजूर हो गया है।
धारा 29 के तहत क्लीनचिट
प्रोजेक्ट लेते वक्त कंपनी ने सिक्योरिटी डिपॉजिट करवाया था, जिसका ब्याज बोर्ड के खाते में जमा हो रहा है। धारा 3 में ब्लैक लिस्टेड के बाद हाउसिंग बोर्ड को प्रोजेक्ट हैंडओवर लेना था। कंपनी की सिक्योरिटी डिपॉजिट जब्त की जा सकती थी। धारा 29 में क्लीनचिट मिलने के बाद कंपनी से लिक्विडिटी डैमेज की वसूली नहीं हुई, उल्टा उसे दोबारा फिनिशिंग वर्क ऑर्डर मिल गया। जबकि तीन साल में पूरा होने वाला प्रोजेक्ट 8 साल में भी खत्म नहीं किया।
36 माह में बनना था कीलनदेव
अप्रैल 2010 में लांच महादेव-कीलनदेव और तुलसी प्रोजेक्ट के लिए हाउसिंग बोर्ड ने एमबीएल इंफ्रास्ट्रक्चर से टाइम बाउंड एग्रीमेंट किया था। डेडलाइन के मुताबिक महादेव टॉवर 24 माह, कीलनदेव 36 माह व तुलसी टावर 30 माह में तैयार हो जाना था। अब केवल महादेव टॉवर तैयार हुआ है, दो प्रोजेक्ट में आठ माह लगेगा।
मुझे इस मामले की जानकारी नहीं है। संचालक मंडल के सामने ये प्रस्ताव नहीं आया था। विभागीय अधिकारी से जानकारी मांगेंगे।
कृष्णमुरारी मोद्ये, अध्यक्ष, एमपी हाउसिंग बोर्ड