ऐसे में मध्यप्रदेश में कुछ ऐसे समुदाय भी हैं जिनका पारिवारिक पेशा ही वेश्यावृत्ति है वह इस पेशे को पारंपरिक प्रथा का नाम देते हैं। कोर्ट के इस फैसले के बाद परंपरा की आड़ में धड़ल्ले से जिस्मफरोशी के इस व्यापार को और अधिक संरक्षण प्राप्त होता दिखाई दे रहा है।
मध्यप्रदेश में “बांछड़ा” समुदाय एक ऐसा ही समुदाय है जहां खुलेआम वेश्यावृत्ति परिवार के लोगों द्वारा अपनी ही बेटियों से जबरन करवाया जाता है। इस कुप्रथा को यह समुदाय अपनी पौराणिक परंपरा का हवाला देता है। मंदसौर, नीमच और रतलाम जिले में 65 गांवों में जिस्मफरोशी के ऐसे 250 अड्डे हैं । यहां घर में लड़कियां पैदा होने पर विशेष खुशी सिर्फ इस बात से मनाई जाती है क्योंकि इस कथित परंपरा को आगे बढ़ाया जा सकेगा। वेश्यावृत्ति इस समुदाय के लिए कमाई का सबसे बड़ा जरिया है, इसलिए ज्यादा बेटियां मतलब ज्यादा ग्राहक और ज्यादा पैसा।
वही “बांछड़ा” के अलावा राजस्थान के दलित समाज में “बेड़िया” समुदाय का भी पुश्तैनी काम अपने परिवार की महिलाओं से वेश्यावृति करवाना है। यह समुदाय मध्यप्रदेश में भी पाया जाता है। इसी तरह बचड़ा, कंजर, सासी और नट तमाम ऐसी जनजातियां हैं जो इस पेशे को अपनाए हुए हैं, और राजगढ़, शाहजहांपुर ,गुना ,सागर, शिवपुर, मुरैना, शिवपुरी सागर और विदिशा जैसी जगहों पर खुलेआम यह कार्य चलता है। बेड़िया जनजाति की बात करें तो इस जनजाति की पहचान राई नृत्य से है। इस समुदाय के लोग इतिहास में राई नृत्य से जुड़े हुए थे जो उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड में सबसे अधिक प्रचलित है।
इन इलाकों में अक्सर पुलिस की छापेमारी होती रहती है, लोग जेल में भी जाते हैं लेकिन एक मोटी रकम अदा करने के बाद जिस्मफरोशी का यह दौर एक बार फिर से शुरू हो जाता है। ऐसे में इस व्यवसाय को कानूनी संरक्षण मिलने के बाद पुलिस की दखलअंदाजी और रोक-टोक पर भी पाबंदी लग जाएगी ।
क्या होगा इस फैसले का असर?
जहां एक तरफ इस समाज के वह लोग जो वेश्यावृत्ति को परंपरा मानकर इसे आगे बढ़ा रहे हैं। वहीं दूसरी ओर इसी समाज के कुछ ऐसे लोग भी हैं जो इस कुरीति का हिस्सा मजबूरन बने हुए हैं , सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद ऐसे लोग जो वेश्यावृत्ति करने पर मजबूर हैं उन्हें और मजबूर होना पड़ेगा। वे चाह कर भी आवाज नहीं उठा सकेंगे।
हालांकि सुप्रीम कोर्ट द्वारा अपनी मर्जी से इस पेशे में संलिप्त लोगों को कानूनी संरक्षण दिया गया है, लेकिन इसका गलत फायदा उन लोगों को भी मिलेगा जो जबरन परंपरा के नाम पर अपने घर की बेटियों को वेश्यावृत्ति करने पर मजबूर करते हैं। वही इस फैसले के बाद इस समुदायों से जुड़े वह लोग जो अपनी मर्जी से इस कुरीति से जुड़े हुए हैं उन्हें खुद को कानूनी रूप से संरक्षित करने और अपने अधिकार अपने सम्मान के प्रति आवाज उठाने का मौका मिलेगा।