विधानसभा में राज्य सरकार से ४० से अधिक पद मिले थे। इनमें ६ पद सहायक ग्रेड तीन के थे। इन छह में से चार पदों को संविदा में बदल दिया गया। संविदा पर इन नियुक्तियों का सचिवालय में विरोध था। प्रोटेम स्पीकर तक भी यह बात पहुंची थी। नियमित पदों को संविदा पदों पर बदलने जाने के लिए विधानसभा सचिवालय ने राज्य सरकार को प्रस्ताव भेजा। लेकिन राज्य सरकार के वित्त विभाग ने स्पष्ट तौर पर कह दिया गया कि नियमित पदों को संविदा में नहीं बदला जा सकता। इस पर प्रोटेम स्पीकर ने इन नियुक्तियों को निरस्त करने के आदेश दिए।
कांग्रेस ने भी की थी आपत्ति –
चुनाव आचार संहिता के दौरान हुई नियुक्तियों पर प्रदेश कांग्रेस ने भी आपत्ति की थी। चुनाव आयोग को भी पत्र लिखकर नियुक्तियां करने का आग्रह किया था। प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता भूपेन्द्र गुप्ता ने आयोग से पूछा है कि आचार संहिता के प्रभावशील रहते विधानसभा सचिवालय द्वारा क्या नई नियुक्तियां की जा सकती हैं। यदि विधानसभा सचिवालय के अधिकारियो, कर्मचारियों का वेतन राज्य कोष से निकलता है तो आचार संहिता के पालन में किन नियमों के आधार पर नियुक्तियां करने में छूट ली गई हैं। जब विधानसभा अध्यक्ष स्वयं चुनाव में भाग ले रहे हैं तो उन्हें किस नैतिक आधार पर ऐसी नियुक्तियां करना चाहिए। जब इन नियुक्तियों को न ही विज्ञापित किया गया और न ही आयोग को भी पूर्व सूचित किया गया तो क्या चुनाव आयोग स्वयं संज्ञान लेकर कोई कार्रवाई कर सकता है अथवा नही। जब कोई संवैधानिक संस्था ही आचार संहिता की अनदेखी करेगी तो आयोग की क्या भूमिका होगी। हालांकि उस दौरान तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सीताशरन शर्मा ने कहा था कि विधानसभा में चुनाव आचार संहिता लागू नहीं होती।
चुनाव आचार संहिता के दौरान हुई नियुक्तियों पर प्रदेश कांग्रेस ने भी आपत्ति की थी। चुनाव आयोग को भी पत्र लिखकर नियुक्तियां करने का आग्रह किया था। प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता भूपेन्द्र गुप्ता ने आयोग से पूछा है कि आचार संहिता के प्रभावशील रहते विधानसभा सचिवालय द्वारा क्या नई नियुक्तियां की जा सकती हैं। यदि विधानसभा सचिवालय के अधिकारियो, कर्मचारियों का वेतन राज्य कोष से निकलता है तो आचार संहिता के पालन में किन नियमों के आधार पर नियुक्तियां करने में छूट ली गई हैं। जब विधानसभा अध्यक्ष स्वयं चुनाव में भाग ले रहे हैं तो उन्हें किस नैतिक आधार पर ऐसी नियुक्तियां करना चाहिए। जब इन नियुक्तियों को न ही विज्ञापित किया गया और न ही आयोग को भी पूर्व सूचित किया गया तो क्या चुनाव आयोग स्वयं संज्ञान लेकर कोई कार्रवाई कर सकता है अथवा नही। जब कोई संवैधानिक संस्था ही आचार संहिता की अनदेखी करेगी तो आयोग की क्या भूमिका होगी। हालांकि उस दौरान तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सीताशरन शर्मा ने कहा था कि विधानसभा में चुनाव आचार संहिता लागू नहीं होती।