यहां शंकराचार्य नगर में 5वीं कक्षा के एक छात्र ने दोपहर में घर की छत पर लगी रॉड में रस्सी का फंदा बनाकर फांसी लगा ली। छात्र फ्री फायर गेम खेलने का शौकीन था।11 साल का सूर्यांश ओझा को कमरे में फंदे पर लटका देखा, तो हड़कंप मच गया। उसे अस्पताल ले जाया गया, जहां डाक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। ऑनलाइन गेम की लत में बच्चों की आत्महत्या का यह पहला मामला नहीं है। इससे पहले भी प्रदेश में जो मामले आए हैं, उनकी लिस्ट लंबी है।
क्या कहते हैं मनोचिकित्सक डा. सत्यकांत त्रिवेदी
प्रदेश के जाने-माने मनोचिकित्सक डॉ. सत्यकांत त्रिवेदी कहते हैं कि इसके लिए पूरी तरह से माता-पिता जिम्मेदार हैं। माता-पिता ही पहली कड़ी हैं, जो बच्चों में संस्कार देते हैं। माता पिता को चाहिए कि तनाव प्रबंधन भी कर बच्चों को इससे बचाएं। प्रदेश में करीब 36 से अधिक आत्महत्या के मामले आ चुके हैं।
डा. त्रिवेदी कहते हैं कि गेम की लत वाले ऐसे बच्चे अटेंशन डिफिसिट हाइपर काइनेटिक डिसआर्डर से पीड़ित हो जाते हैं।इनमेंएकाग्रता की कमी होती है, जिससे जल्दी-जल्दी बदलने वाली चीजों के प्रति उनकी रुचि ज्यादा होने लगती है। डिप्रेशन, एन्जायटी भी काफी सामान्य तौर पर देखी जाती है। बच्चों को तनाव प्रबंधन की सीख देना हमारी प्राथमिकता से बाहर होता जा रहा है, इसलिए बच्चे इस रास्ते को चुन लेते हैं। व्यापक स्तर पर जागरूकता लाने की आवश्यकता है।
ऐसे पहचानें गेम्स की लत
ऐसे करें मोबाइल से दूर
माता-पिता क्या करें
गेम की लत से नुकसान
राज्य सरकार बनाएगी एक्ट
गृहमंत्री नरोत्तम मिश्र ने भी गुरुवार को बयान जारी कर कहा है कि फायर फ्री जैसे बच्चों के लिए खतरनाक ऑनलाइन गेम पर प्रतिबंध लगाने के सरकार जल्द ही ऑनलाइनगेम्स एक्ट लाने जा रही है। नए कानून का ड्राफ्ट लगभग तैयार है और जल्द ही इसे मूर्त रूप दिया जाएगा।
CCD के मालिक वीजी सिद्धार्थ ने क्यों की आत्महत्या, यह हो सकते हैं अहम कारण
बच्चों की आत्महत्या मामले में मनोचिकित्सक ने दी माता-पिता को यह सलाह, देखें VIDEO