मामला रीवा जिले की रायपुर कर्चुलियान जनपद का है। जनपद पंचायत में हुए विकास कार्य और यहां हुई खर्च से जुड़ी राशि का लेखा जोखा आरटीआई के तहत आवेदक ने मांगा था। यहां से जानकारी न मिलने पर मामला राज्य सूचना आयोग में आया। राज्य सूचना आयुक्त राहुल ङ्क्षसह ने जनपद की खण्ड पंचायत अधिकारी तथा लोक सूचना अधिकारी सुरभि दुबे से जवाब मांगा। लेकिन उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया। यहां तक आयोग ने उन्हें सुनवाई में उपस्थित होने के लिए समन भी भेजे, उन्होंने समन तो रिसीव किए लेकिन वे सुनवाई में उपस्थित नहीं हुईं।
सुनवाई के लिए कई बार तिथि दी गई। आयोग के आदेश के लगातार अवहेलना करने पर सूचना आयोग ने उन्हें चेतावनी दी कि यदि वे उपस्थित नहीं होती तो आयोग सिविल प्रक्रिया संहिता के तहत गिरफ्तारी वारंट (जमानती) जारी कर उपस्थित सुनश्चित कराएगा, लेकिन इसका भी असर नहीं हुआ। हालांकि उन्होंने टेलीफोन पर सुनवाई की अनुमति मांगी। सूचना आयुक्त ने यह अनुमति दी लेकिन वे इस सुनवाई में शामिल नहीं हुईं। यहां तक आयोग कार्यालय से जब उनसे संपर्क किया गया तो उन्होंने आयोग पर ही टिप्पणी करते हुए बेतुके जवाब दिए। इससे आयोग और सख्त हुआ है।
लोक सूचना अधिकारी बदलने का आदेश
सूचना आयुक्त ने पंचायत विभाग को पत्र लिखकर लोक सूचना अधिकारी की कार्यप्रणाली से अवगत कराया है। साथ ही कहा है कि वे लगातार आरटीआई का उल्लंघन कर रही हैं। उनके स्थान पर अन्य लोक सूचना अधिकारी पदस्थ किया जाए। प्रदेश के इतिहास में शायद यह पहला मामला होगा जब आयोग ने किसी लोक सूचना अधिकारी को हटाकर अन्य अधिकारी पदस्थ करने के लिए राज्य सरकार से कहा हो। अब मामले की अगली सुनवाई के लिए 28 फरवरी की तिथि आयोग ने तय की है। यह सुनवाई आयोग के कोर्ट रूम में होगी।
आयोग जारी कर सकता है जमानती गिरफ्तारी वारंट
आयोग को यह अधिकार है कि यदि बार-बार मौका दिए जाने के बाद भी लोक सूचना अधिकारी सुनवाई में उपस्थित नहीं होते संबंधित के खिलाफ जमानती गिरफ्तारी वारंट जारी करने का अधिकार आयोग के पास है। इसका पालन करने के लिए संबंधित जिले के एसपी को आदेश दिया जाता है। एसपी को इसका पालन करना होता है।