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रिकॉर्ड में खाली पड़े हैं क्वार्टर, लेकिन इनमें रह रहे हैं परिवार

locationभोपालPublished: Sep 13, 2020 01:16:33 am

Submitted by:

Rohit verma

शिवाजी नगर में आवास घोटाला: बिना आवंटन कब्जा

रिकॉर्ड में खाली पड़े हैं क्वार्टर, लेकिन इनमें रह रहे हैं परिवार

रिकॉर्ड में खाली पड़े हैं क्वार्टर, लेकिन इनमें रह रहे हैं परिवार

भोपाल. जेपी अस्पताल के पास शिवाजी नगर के सरकारी आवास में रहने की हसरत भले ही हर कर्मचारी और पात्र व्यक्ति की हो, लेकिन यहां हर किसी को मकान आवंटित नहीं हो पाता। सरकारी अधिकारी इसकी प्रमुख वजह सीमित आवास एवं आवास के मुकाबले अधिक आवेदन आना बताते हैं। गौरतलब है कि शिवाजी नगर के ज्यादातर क्वार्टर खंडहर हो गए हैं। इसके कारण अंधेरा होते ही यहां पर असामाजिक तत्वों की गतिविधियां बढ़ जाती हैं।
बता दें कि पिछले दिनों इन्हीं खंडहर आवासों में एक युवक-युवती ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी। स्थानीय लोगों का आरोप है कि यहां एक वर्ग ऐसा भी है, जो बगैर गृह विभाग एवं संपदा विभाग के आवंटन प्रक्रिया में शामिल हुए नेताओं एवं अफसरों से साठगांठ कर सरकारी क्वार्टरों में कब्जा किए बैठे हैं। शिवाजी नगर के सरकारी क्वार्टरों का रखरखाव लोक निर्माण विभाग के पास है। ऐसे में यहां पर बिना विभाग की जांच पड़ताल किए कोई भी रहने नहीं आ सकता। पत्रिका ने इस मामले में जब पड़ताल की तो पता चला कि कई आवास ऐसे हैं, जो संपदा विभाग के रिकॉर्ड में रिक्त बताए जा रहे हैं, लेकिन मौके पर इनमें लोग रह रहे हैं।
रिकॉर्ड में खाली, मौके पर भरे हुए सरकारी रिकॉर्ड में कई आवास खाली दर्शाए जा रहे हैं, लेकिन मौके पर इनकी स्थिति कुछ अलग ही दिखाई दे रही है। इनमें मुख्य रूप से आवास नंबर 121 की लाइन में आवास क्रमांक 67, 71, 77 सेकंड टाइप शामिल हैं। वहीं 123 की लाइन आई श्रेणी एवं 125 की लाइन के कई आवास कब्जा ग्रस्त हैं। इसी प्रकार 118 सेकंड टाइप के कई शासकीय आवास भरे हुए हैं।
सीधी बात: प्रीति पटेल, ईई, पीडब्ल्यूडी
शिवाजी नगर के आवासों की आवंटन रखरखाव प्रक्रिया क्या है।
आवंटन, रखरखाव का काम संपदा एवं पीडब्ल्यूडी के पास है।
रिकॉर्ड में कई आवास खाली हैं, लेकिन मौके पर इनमें कोई और रह रहा है।
मुझे इसकी जानकारी नहीं है। यह सभी कार्य कनिष्ठ स्तर के इंजीनियर करते हैं। इसके संबंध में उनसे पूछना पड़ेगा।
स्थानीय लोगों का आरोप है कि जो लोग अवैध रूप से रह रहे हैं, वह प्रति माह 4 हज़ार रुपए किराया भी देते हैं।
इस मामले की जांच करवाए बगैर कोई जानकारी नहीं दी जा सकती है।

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