भारतीय एयरफोर्स में शामिल होने जा रहे राफेल विमानों को लेकर मोदी सरकार और विपक्षी पार्टी कांग्रेस के बीच काफी समय तक खींचतान चलती रही, यहां तक कि चुनावों में राफेल को लेकर भी जमकर बयानबाजी का दौर चला था। विपक्षी दल ने ‘चौकीदार चोर’ के नारे तक लगाए। कांग्रेस के अध्यक्ष को कोर्ट में माफी तक मांगनी पड़ी थी।
दिग्विजय सिंह ने एक के बाद एक ट्वीट कर लिखा है कि आखिर राफेल फाइटर प्लेन आ गया। 126 राफेल खरीदने के लिए कांग्रेस के नेतृत्व में यूपीए ने 2012 में फैसला लिया था और 18 राफेल को छोड़कर बाकी भारत सरकार की हिन्दुस्तान एयरोनाटिक्स लिमिटेड (HAL) में निर्माण का प्रावधान था। यह भारत में आत्मनिर्भर होने का प्रमाण था। एक राफेल की कीमत 746 करोड़ रुपए तय की गई थी, लेकिन मोदी सरकार आने के बाद फ्रांस के साथ मोदी जी ने बगैर रखा और वित्त मंत्रालय व कैबिनेट कमेटी की मंजूरी के नया समझौता कर लिया। सुरक्षा की अनदेखी करते हुए 126 राफेल खरीदने की बजाय केवल 36 राफेल खरीदने का निर्णय लिया गया।
अगले ट्वीट में कांग्रेस नेता ने लिखा है कि राष्ट्रीय सुरक्षा का आकलन करते हुए रक्षा मंत्रालय ने 126 राफेल विमान खरीदने की सिफारिश की थी, जो यूपीए ने स्वीकार कर सहमति दी थी। अब मोदीजी ने 126 की बजाय 36 राफेल खरीदने की फैसला क्यों लिया? यह पूछने पर भी कोई जवाब नहीं मिला। क्या मोदीजी ने राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ समझौता नहीं किया?
मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने कहा कि यदि हम इन प्रश्नों का उत्तर मांगते हैं तो मोदीजी की ट्रोल आर्मी और उनकी ‘कठपुतली’ मीडिया एंकर हमें राष्ट्रद्रोही बताते हैं। क्या प्रजातंत्रीय व्यवस्था में विपक्ष को प्रश्न पूछने का अधिकार नहीं है?
राफेल के भारत पहुंचने पर मध्यप्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा का बयान आया है। उन्होंने कहा है कि राफेल की गर्जना से देश का आसमान गूंजेगा और भारत मां का मस्तक गौरवान्वित होगा। सिर्फ तीन जगह मातम होगा, चीन में, पाकिस्तान में और जो लोग राफेल के खिलाफ ट्वीट करके रो रहे हैं उनके यहां।