पिपलिया मंडी चौराहे पर चाय-समोसे की दुकान चलाने वाले राजेंद्र पाटीदार कहते हैं, गोलीकांड के दिन मेरी दुकान जबरदस्ती बंद कराई गई थी। तोडफ़ोड़ भी की थी। अभी भी इस सरकार में क्या अच्छा है। बिना रिश्वत दिए कोई काम नहीं होता। कुआं ओके हो जाता है, लेकिन उसे बनाने के लिए जब तक 20000 रुपए नहीं दो तब तक काम नहीं होता। हमारे नैनोरा गांव में तो विधवा से भी राशन कार्ड बनाने के लिए पैसे मांगते हैं। पाटीदार सीएम हेल्पलाइन पर शिकायत करने के सवाल पर बोले, शिकायत करने से क्या होगा? रहना तो यहीं पर है। हमारी आफत हो जाती है। इसी चौराहे पर ही दुकान चलाने वाले मांगीलाल जैन बोले, गोलीकांड के बाद हमें 15 दिन दुकान बंद रखना पड़ा। ऐसी कोई योजना नहीं, जो हमारी जिंदगी की समस्याओं को आसान कर सके। हम रोज योजनाएं सुनते हैं, देखते हैं, लेकिन यह सब देखने में और बोलने में ही अच्छी लगती हैं।
पिपलिया मंडी चौराहे पर कई लोग आपस में बतिया रहे हैं। और, क्या चल रहा है, सवाल पर लक्ष्मण चौहान बोले, यहां क्या चलेगा? पूरा मंदसौर चौपट है। खेती में कोई फायदा नहीं और दूसरा कारोबार हम कर नहीं पाते। जैसे-तैसे जिंदगी बसर हो रही है। पीएम आवास योजना में आवास मांगा, लेकिन नहीं मिला। जब तक लेन-देन नहीं करो, तब तक आवेदन आगे नहीं बढ़ता। इसी बीच खोखरा गांव के भारतबाबू लाल चौहान बोले, सरकार तो बहुत अच्छा काम कर रही है, लेकिन हमें कोई फायदा नहीं मिला। ये वोट का समय तो हर पांच साल में आता है, इससे हो क्या गया अब तक?
मंडी चौराहे पर बस का इंतजार कर रहे निनोरा गांव के दयानंद पाटीदार बोले- इस पूरे क्षेत्र में कोई रोजगार नहीं है। खेती-किसानी है। बाकी लोगे छोटी-मोटी दुकानों से घर चलाते हैं। सरकारी योजनाएं तो हैं, लेकिन इनका फायदा तब मिलता है जब सेटिंग हो। मैंने डीएड कर रखा है, लेकिन प्राइवेट नौकरी कर रहा हूं। परिवार खेती किसानी करता है, इसलिए जिंदगी चल जाती है। वरना, कुछ नहीं होता।
चौराहे के दूसरी ओर चाय वाले नागेश धनकर बोले, कोई नेता कभी हमारे हाल पूछने नहीं आता। हमने न तो कभी भाजपा वाले को देखा और न कांग्रेस वाले को। हमें केवल अपने काम से मतलब है, इसलिए राजनीति की बातें छोड़ो हमें काम करने दो।
पिपलिया मंडी के दूसरे किनारे पर सोने-चांदी के कारोबारी मुकेश सोनी कहते हैं- किसान आंदोलन को डेढ़ साल हो गए। इसके बाद वैसा कोइ्र आंदोलन नहीं हुआ। यानी किसान खुश हैं। सरकार ने अच्छा काम किया है। आप यहां की सड़कें देख लो। विधायक जगदीश देवड़ा अच्छा काम करते हैं, लेकिन सांसद सुधीर गुप्ता उम्मीदों पर खरे नहीं उतरे। पास ही बैठे उत्तम सिंह ठाकुर बोले, यहां सबसे बड़ी समस्या बेरोजगारी की है। उस पर हद ये कि बेरोजगार से नौकरी के लिए आवेदन करने पर भी 500 से 1000 रुपए तक के फॉर्म भरवाए जाते हैं। पहले जिलास्तर पर नौकरियां लग जाती थी, लेकिन अब राज्य स्तर पर ही लगती हैं।
रिछा बच्चा गांव के कमलेश पाटीदार कहते हैं कि भावांतर योजना और लहसुन पर प्रदेश सरकार ने किसानों का बड़ा ध्यान रखा है। डेढ़ साल में ऐसे कई कदम उठाए, जिनसे किसान राहत महसूस कर रहे हैं। फिर भी परेशानी खत्म नहीं हो रही। फिर हंसते हुए बोले, अब तो आचार संहिता लग गई अब क्या देंगे। कमलेश बोले- इस बार वोट के लिए बहुत सोचना है, किसे दें।
जावरा के पास गिंदवानिया गांव के हीरालाल पटेल कहते हैं कि हमें काई बता दे इतना काम पहले कभी हुआ है क्या? लेकिन, इस बार बदलाव हो सकता है। उनसे पूछा कि ऐसा क्यों तो बोले, काम में भ्रष्टाचार भी तो बढ़ता जा रहा है। भ्रष्टाचार के लिए और समय क्यों दें।
जावरा के ठीक पहले धाकड़ चौराहा है। यहां धाकड़ बंधुओं की दुकानें हैं। रेस्टोरेंट मालिक कन्हैयालाल धाकड़ बोले, इन दिनों सरकार की हालत पतली है। किसी को भी देख लो नाराज जैसा है। व्यापारी, युवा, किसान सब। ये नाराजगी इसलिए है कि जिसे जरूरत है उस तक पूरा फायदा नहीं पहुंचता। सरकारी योजनाएं बहुत हैं, लेकिन उनमें भ्रष्टाचार भी कम नहीं है।
सोनगिरी गांव के बाबूलाल सेन मंदसौर हाईवे पर सैलून चलाते हैं। सेन बोले, हमने विधायक यशपाल सिंह सिसोदिया को कभी नहीं देखा। वे यहां एक बार भी नहीं आए। कांग्रेस के महेंद्र सिंह गुर्जर हार गए थे। वह भी कभी नहीं आए। ये नेता लोग वोट के समय आस-पास के इलाके में दिख सकते हैं। सेन यहां 15 सालों से सैलून चला रहे हैं। वे कहते हैं, पूरे इलाकों को बदलते हुए देखा, लेकिन नहीं बदली तो यहां की समस्याएं। किसान पहले की तरह परेशान हैं। हालांकि कुछ सड़कें अच्छी हो गई हैं। बिजली-पानी मिल गया है।