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कांग्रेस में अब नहीं चलेगा राहुल फॉर्मूला, चुनाव से नहीं सर्वसम्मति से तय होंगे संगठन में नेता

locationभोपालPublished: Oct 16, 2019 08:13:51 am

Submitted by:

Arun Tiwari

– कांग्रेस में लागू होगा सोनिया फॉर्मूला- राहुल ने जरुरी किए थे यूथ कांग्रेस,एनएसयूआई में चुनाव
 
 

Long running churn, turmoil in Congress

the mayor’s claim in Congress circles is stuck

भोपाल : प्रदेश कांग्रेस संगठन में बड़े बदलाव की तैयारी कर ली गई है। नए अध्यक्ष के चयन के साथ ही इस कार्ययोजना को अमलीजामा पहना दिया जाएगा। कांग्रेस में अब राहुल फॉर्मूला नहीं बल्कि सोनिया फॉर्मूला लागू किया जा रहा है।

सोनिया गांधी के साथ पार्टी की प्रमुख भूमिका में आने के बाद राहुल गांधी ने युवा संगठनों में चुनाव के जरिए नेतृत्व चयन का तरीका अपनाया था। इसके बाद से ही युवक कांग्रेस और एनएसयूआई में अध्यक्ष समेत सभी पदाधिकारियों को वोटिंग के जरिए चुना जाने लगा। अब पार्टी हाइकमान को लगने लगा है कि संगठन में चुनाव के जरिए बेहतर नेता प्रमुख भूमिका में नहीं आ पाते।

सूत्रों के अनुसार एआईसीसी ने दो महीने की पूरी कार्ययोजना तैयार की है जिसके हिसाब से अब संगठन में चुनाव के जरिए नहीं बल्कि सबकी सहमति से नेताओं की नियुक्ति की जाएगी। इसके साथ ही युवक कांग्रेस और एनएसयूआई जैसे युवा संगठनों में भी चुनाव नहीं कराए जाएंगे। प्रदेश में नए सिरे से पार्टी को खड़ा करने के लिए पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी की कार्यशैली के हिसाब से काम किया जा रहा है। युवाओं के साथ अनुभव को बराबर की तरजीह दी जाएगी।

तय की जाएगी आयु सीमा :

युवक कांग्रेस और एनएसयूआई में उम्र का बंधन भी निश्चित किया जाएगा। युवक कांग्रेस में ३५ साल से कम उम्र के नेताओं को ही पदाधिकारी बनाया जाएगा। इसके सदस्य भी इसी आयु वर्ग के होंगे। वर्तमान में प्रदेश से लेकर दिल्ली तक के युवक कांग्रेस के नेता इस उम्र की सीमा को पार कर चुके हैं।

प्रमुख पदाधिकारी भी ओवरएज होने के बाद भी पद पर हैं। एनएसयूआई की उम्र सीमा २७ साल है लेकिन यहां भी इस उम्र से ज्यादा के नेता पदाधिकारी हैं। अब नए सिरे से इन संगठनों में उम्र को ध्यान में रखते हुए नियुक्तियां की जाएंगी।

युवक कांग्रेस को चाहिए नियुक्ति,एनएसयूआई को चुनाव :

युवा संगठनों में चुनाव को लेकर पार्टी दो धड़ों में बंटती नजर आती है। युवक कांग्रेस के पदाधिकारी कहते हैं कि नियुक्ति से वे नेता आगे आते हैं जिनमें लीडरशिप क्वालिटी होती है। यूथ कांग्रेस के चुनाव भी महंगे हो गए हैं। लोकसभा अध्यक्ष बनने के लिए लाखों रुपए खर्च करने पड़ते हैं। नए सदस्य जो वोट करते हैं उनका विचारधारा से इतना जुड़ाव नहीं होता, वे चुनाव के जरिए पदाधिकारी बन जाते हैं लेकिन कुछ महीनों बाद ही वे पार्टी के कार्यक्रमों में नजर नहीं आते।

यूथ कांग्रेस के रिकॉर्ड में ४० लाख सदस्य हैं लेकिन क्या विधानसभा,लोकसभा के चुनाव में क्या ये वोट कांग्रेस को मिले हैं। युवक कांग्रेस अध्यक्ष कुणाल चौधरी कहते हैं कि दोनों तरह की प्रक्रिया के अपने फायदे और नुकसान हैं। एनएसयूआई के प्रवक्ता विवेक त्रिपाठी के मुताबिक चुनाव से आम छात्र को नेता बनने का मौका मिलता है जिसका राजनीति में कोई गॉडफादर नहीं होता। चुनाव के बिना तो चुनिंदा नेता या उनके करीबियों को ही मौका मिलता है।

अगले महीने पीसीसी अध्यक्ष :

प्रदेश कांग्रेस के नए अध्यक्ष के लिए अभी और समय बढ़ गया है। झाबुआ चुनाव के कारण ये फैसला टाल दिया गया है। झाबुआ चुनाव के नतीजे आने के बाद दीवाली का त्यौहार है। इसलिए ऐसा माना जा रहा है कि नवंबर में ही नए प्रदेश अध्यक्ष का फैसला किया जाएगा। प्रदेश अध्यक्ष का चयन भी सर्वसम्मति के आधार पर ही होगा।

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