जानकारी के अनुसार मंडल में रेलवे ड्राइवर्स को यह डिवाइस 24 दिसंबर से इश्यू की जा रही हैं। इस डिवाइस की सहायता से कोहरे और खराब मौसम में भी ड्राइवर्स को सिग्नल्स की जानकारी मिलती है, जिससे ट्रेन दुर्घटनाओं को रोका जा सके। ट्रेनों की सुरक्षा के लिए दी जा रही यह डिवाइस खुद ही असुरक्षित हैं। ड्यूटी खत्म होने के बाद रेलवे ड्राइवर्स इस डिवाइस को हाथ में टांग कर रनिंग में रूम में ले जाते हैं। इसे यहां कहीं पर भी रख दिया जाता है। रेलवे ड्राइवर्स का कहना है कि रनिंग रूम में इन्हें रखने की कोई सुरक्षित जगह नहीं है।
स्टाफ का पर्सनल सामान भी खुले में रखा रहता है। रेलवे ड्राइवर्स का कहना है रनिंग रूम में पर्याप्त लॉकर नहीं होने के कारण ऐसी स्थिति बनती है। चूंकि यह डिवाइस चार्जेबल है, जिसे चार्ज होने में काफी समय लगता है। ऐसे में ड्यूटी के बाद चार्जिंग के दौरान ड्राइवर्स के कंधों पर ही इसकी सुरक्षा की जिम्मेदारी आ जाती है। डिवाइस की सुरक्षा करने के चक्कर में वे आराम भी नहीं कर पाते।
ड्राइवर्स का कहना है कि यदि यह डिवाइस गुम हो जाती है या इसमें टूट-फूट होती है तो इसकी भरपाई कौन करेगा? दरअसल मैं पूर्व में जब रेलवे ड्राइवर्स को वॉकी-टॉकी दिए गए तो उसमें भी ऐसी ही समस्या आई। मंडल में तीन से चार ड्राइवर्स ऐसे हैं, जिनका वॉकी-टॉकी खोने पर उनके वेतन से वसूली की गई। 18000 रुपए तक वेतन से काटे गए।
रेलवे ने फॉग डिवाइस दी अच्छी बात है, लेकिन इसकी सुरक्षा बड़ी समस्या है। ड्राइवर्स को उसके खुद के सामान के साथ ही अब ये भी लादना पड़ रहा है। इसकी तक व्यवस्था रेलवे ने नहीं की।
– टीके गौतम, मंडल अध्यक्ष डब्ल्यूसीआरइयू
फॉग डिवाइस ट्रेनों की सुरक्षा के लिए बहुत आवश्यक है। यह इतनी भारी नहीं है कि इसे कैरी करने में समस्या हो। जहां तक फॉग डिवाइस की सुरक्षा का सवाल है हम शिकायत का निराकरण करने की कोशिश करेंगे।
– शोभन चौधुरी, डीआरएम भोपाल मंडल