भूख हड़ताल को लेकर तैयारियां रेल कर्मचारियों और यूनियन नेताओं द्वारा पूर्व में ही कर ली गईं हैं। ये लगाए आरोप…
यूनियन से जुड़े कर्मचारियों का कहना है कि केंद्र सरकार रेल कर्मचारियों की मांगों को लेकर लगातार अनदेखी कर रही है।
यूनियन से जुड़े कर्मचारियों का कहना है कि केंद्र सरकार रेल कर्मचारियों की मांगों को लेकर लगातार अनदेखी कर रही है।
वहीं न्यू पेंशन स्कीम लागू होने से कर्मचारियों के सामने एक बड़ी समस्या खड़ी हो गई है। जिसको लेकर फेडरेशन में बेहद ही नाराजगी है। आरोप है कि इसके लिए पुरानी पेंशन स्कीम लागू कराने को लेकर कई बार बोर्ड स्तर पर बैठक हुई, लेकिन अधिकारियों ने हां में हां की। मगर मांगों को पूरा नहीं किया।
कर्मचारियों से जुड़ी कई अन्य मांगों को भी अनदेखा किया गया है। इसलिए अब तीन दिवसीय भूख हड़ताल का पर कर्मचारी रहेंगे। सामने आ सकती है ये समस्या…
जानकारों के अनुसार इन दिनों पड़ रही गर्मी हड़ताल पर बैठे कर्मचारियों के लिए घातक हो सकती है। डॉक्टरों का भी मानना है कि इतनी गर्मी में तीन दिन से भूख हड़ताल पर बैठे कर्मचारियों के शरीर में पानी कम होने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है।
जानकारों के अनुसार इन दिनों पड़ रही गर्मी हड़ताल पर बैठे कर्मचारियों के लिए घातक हो सकती है। डॉक्टरों का भी मानना है कि इतनी गर्मी में तीन दिन से भूख हड़ताल पर बैठे कर्मचारियों के शरीर में पानी कम होने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है।
वहीं भूख हड़ताल कर रहे कर्मचारियों का कहना है कि वे तब तक वह अपनी भूख हड़ताल नहीं खोंलेगे, जब तक उनकी मांगे पूरी नहीं हो जाती हैं। वहीं उनके अनुसार अगर भूख हड़ताल दौरान उन्हें कुछ हो जाता है तो इसकी पूरी जिम्मेदारी रेलवे प्रशासन की होगी।
शाखाओं के स्तर पर भूख हड़ताल…
इस दौरान ऑल इंडिया रेलवे मेन्स फेडरेशन से संबद्ध सभी यूनियनें पूरे भारत वर्ष में अपने-अपने शाखाओं के स्तर पर भूख हड़ताल कर रही हैं। इसमें भारी संख्या में रेलकर्मी शिरकत कर और अपनी मांगो को शीघ्र हल करने की मांग कर रहे हैं।
हड़ताल कर रहे कर्मचारियों का कहना है कि यदि इसके बावजूद कोई सकारात्मक परिणाम सामने नहीं आता है तो सीघे संघर्ष के अलावा अन्य कोई विकल्प नहीं बचेगा। इसकी सारी जिम्मेदारी भारत सरकार और और रेल मंत्रालय की होगी।
ये हैं कर्मचारियों का आरोप…
ज्ञात हो कि केंद्र सरकार और रेल मंत्रालय द्वारा दो वर्ष पूर्व ऑल इंडिया रेलवे मेन्स फेडरेशन (एआईआरएफ) के पदाधिकारी व केन्द्रीय कर्मचारियों के अन्य विभागों के प्रतिनिधियों के साथ ‘मंत्री समूह’ की बैठक हुई थी।
ज्ञात हो कि केंद्र सरकार और रेल मंत्रालय द्वारा दो वर्ष पूर्व ऑल इंडिया रेलवे मेन्स फेडरेशन (एआईआरएफ) के पदाधिकारी व केन्द्रीय कर्मचारियों के अन्य विभागों के प्रतिनिधियों के साथ ‘मंत्री समूह’ की बैठक हुई थी।
बैठक में सांतवे वेतन आयोग के द्वारा संस्तुति न्यूनतम वेतन, फिटमेंट फार्मूला में सुधार, राष्ट्रीय पेंशन नीति (नई पेंशन नीति) में गारन्टेड पेंशन की व्यवस्था से सम्बन्धित स्पष्ट आश्वासन दिए जाने के बाद ‘जुलाई 2016’ से केन्द्रीय कर्मचारियों की ‘अनिश्चिकालीन हड़ताल’ को स्थगित करने का निर्णय लिया गया।
कर्मचारियों का आरोप है कि इतना लम्बा समय बीत जाने के बावजूद अभी तक कोई सकारात्मक परिणााम सामने नहीं आया। कर्मचारियों का कहना है कि भारत सरकार और रेल मंत्रालय के उपरोक्त मांगों के प्रति उदासीनता व ढूलमूल रवैये के चलते ऑल इंडिया रेलवे मेन्स फेडरेशन मजबूर होकर क्रमिक भूख हड़ताल पर जाने का फैसला लिया।