एक साल में 7.52 करोड़ की बचत
डीआरएम सौरभ बंदोपध्याय ने बताया कि हेड ऑन जनरेशन प्रणाली में डीजल की खपत नहीं होती। इससे वायु और ध्वनि प्रदूषण में कमी आती है। अकेले भोपाल रेल मंडल में इस तकनीक से सालाना 7 करोड़ 52 लाख 64 हजार रुपए की बचत होगी। इस तकनीक का इस्तेमाल देश के बाकी रेल मंडलों में भी किया जा रहा है।
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ट्रेन में आग की आशंका होगी खत्म
एक सामान्य यात्री ट्रेन में एक जनरेटर बोगी लगाई जाती है, जबकि एसी ट्रेनों में सबसे आगे और सबसे पीछे दो जनरेटर सेट बोगी होती हैं| इनका काम यात्री एसी डिब्बों में एसी और इलेक्ट्रिक उपकरणों में बिजली पहुंचाना होता है। डीजल लीकेज व शॉर्ट सर्किट की वजह से आगजेनी कां खतरा बना रहता था। अब यह आशंका भी खत्म होगी।