यूजीसी के नियमों के अनुसार पीएचडी के पहले छह माह का कोर्स वर्क अनिवार्य है। आरजीपीवी ने अपने यहां कोर्स वर्क करने की अवधि एक साल कर रखी है, लेकिन कक्षाएं कहां लगाई जा रही है इसका खुद प्रबंधन को भी पता नहीं है। सूत्रों की मानें तो कई पीएचडी के शोधार्थी तो ऐसे है जिन्हें बगैर कोर्स वर्क के ही पीएचडी अवार्ड कर दी गई। है। 2010 से अब तक करीब 300 से अधिक पीएचडी की जा चुकी है सभी के पेपर सुपरवाइजरों ने तैयार किए है।
गोपनीयता पर सवाल विवि सूत्रों के अनुसार आरजीपीवी ने परीक्षा के लिए अपने स्तर पर पेपर तैयार नहीं कराए। सुपरवाइजर से पेपर बनवाकर ही परीक्षा आयोजित करा ली गई। महत्वपूर्ण बात यह है कि इसकी सूचना परीक्षा से पहले ही पोर्टल पर सार्वजनिक कर दी थी। इसके चलते परीक्षा की गोपनीयता पर सवाल खड़े हो रहे हैं। जब कि नियम यह कहता है कि सुपरवाइजर सर्वे का रिव्यु कर उसे जांचेगा और सुपरविजन करेगा, लेकिन विवि सर्वे रिपोर्ट की जगह पेपर ही सुपरवाइजर से तैयार करवा रहा है। इस संबंध में विवि के परीक्षा नियंत्रक ने 26 जून 2018 को सभी कॉलेज के प्राचार्यों और डायरेक्टर को लिखित में निर्देश जारी किए थे।
और ये है कुलपति का तर्क मेरे विवि में आने के बाद से पीएचडी की कोर्स वर्क की कक्षाएं एमटेक की कक्षाओं के साथ लगाए जाने के निर्देश दिए हैं। जिस विषय का छात्र है उस विषय की एमटेक की कक्षाएं अटेंड करनी होंगी।
प्रो सुनील कुमार गुप्ता, कुलपति, आरजीपीवी
प्रो सुनील कुमार गुप्ता, कुलपति, आरजीपीवी