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खेल मैदान, सीसीटीवी जैसी सुविधाओं का पैसा साल भर से खाते में जमा, शासन ने मांगा हिसाब

locationभोपालPublished: Feb 15, 2020 01:34:35 am

Submitted by:

Bharat pandey

आरजीपीवी: तकनीकी शिक्षा संचालनालय से जारी फंड लेप्स होने की कगार पर। अनियमितताओं की शिकायत पर सीएम कार्यालय ने लिया है संज्ञान

आरजीपीवी

खेल मैदान, सीसीटीवी जैसी सुविधाओं का पैसा साल भर से खाते में जमा, शासन ने मांगा हिसाब,खेल मैदान, सीसीटीवी जैसी सुविधाओं का पैसा साल भर से खाते में जमा, शासन ने मांगा हिसाब

भोपाल। राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय परिसर में इंजीनियरिंग करने वाले विद्यार्थियों को दी जाने वाली सुविधाएं इस शैक्षणिक सत्र में नहीं मिलने का मामला गर्मा गया है। तकनीकी शिक्षा विभाग ने इस मामले में विवि प्रबंधन से चालू वित्तीय वर्ष 2019-20 में जारी विकास योजनाओं की राशि का हिसाब किताब शासन के समक्ष प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं।

प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के बाद से विवि प्रबंधन की ओर से विकास कार्य नहीं कराए जा रहे थे। इस मामले की शिकायत कांग्रेस पदाधिकारियों ने मुख्यमंत्री कार्यालय से की थी। आरोप है कि विवि परिसर में प्रदेश भर से आकर पढऩे वाले विद्यार्थियों के लिए खेल का मैदान, सुरक्षा के लिए सीसीटीवी कैमरे और पर्यावरण संरक्षण के नाम पर किए जाने वाले दूसरे कामों की सिर्फ घोषणाएं की गईं, लेकिन जमीन पर काम नहीं हुआ।

 

बेहिसाब खर्च पर कार्रवाई
विवि प्रशासन की ओर से साल भर सेमीनार और शॉर्ट टर्म कोर्स कराने के नाम पर बाहरी जानकारों और विशेषज्ञों को बुलाकर राशि खर्च की गई। सरकार ने इस पूरे मामले में तकनीकी शिक्षा संचालक प्रोफेसर वीरेंद्र कुमार के खिलाफ भी जांच शुरू कर दी है। तकनीकी शिक्षा विभाग ने अपने ही डायरेक्टर को नोटिस जारी कर पूछा है कि आखिर क्यों कुलपति सुनील कुमार से समय पर व्यय लेखे जमा नहीं करवाए गए।

 

गैर शैक्षणिक कार्यों के लिए नहीं ली मंजूरी
प्रबंधन ने परिसर की सुरक्ष, रंगरोगन और बाहरी संस्थाओं को परिसर के हॉस्टल के कमरों में ठहरने की सुविधाएं बगैर शासन की मंजूरी के दी थी। शैक्षणिक कार्यों को लेकर भी सरकार ने तकनीकी शिक्षा संचालनालय की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े किए हैं। प्रमुख सचिव तकनीकी शिक्षा इस मामले की जांच करवा रही हैं।



विवि से जुड़ी सभी जानकारियों को लेकर शासन को भेजा जा चुका है। जांच समिति की रिपोर्ट में तथ्य स्पष्ट हो जाएंगे। -वीरेंद्र कुमार, संचालक, तकनीकी शिक्षा

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