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आदेशः पीडब्ल्यूडी अफसरों की लापरवाही पर प्रमुख सचिव जिम्मेदार

locationभोपालPublished: Sep 09, 2019 01:04:37 pm

Submitted by:

Manish Gite

BHOPAL NEWS- मध्यप्रदेश में एक बार फिर सूचना के अधिकार को लेकर अफसरों की लापरवाही पकड़ में आई है। 30 दिनों में जानकारी देने के नियम को दरकिनार करते हुए अफसरों ने 1163 दिनों में भी जानकारी नहीं दी।

rajya suchna aayog rahul singh latest decision rti madhya pradesh

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भोपाल। मध्यप्रदेश में एक बार फिर सूचना के अधिकार को लेकर अफसरों की लापरवाही पकड़ में आई है। 30 दिनों में जानकारी देने के नियम को दरकिनार करते हुए अफसरों ने 1163 दिनों में भी जानकारी नहीं दी। आयोग के आदेश का मखौल उड़ाने वाले पीडब्ल्यूडी के इंजीनियरिंग इन चीफ (मुख्य अभियंता) से लेकर चीफ इंजीनियर (एसई) एवं एग्जीक्यूटिव इंजीनियर (ईई) सभी को एक लाइन में खड़ा कर दिया गया। लापरवाही का आलम यह रहा कि जब सूचना आयुक्त ने जिम्मेदार अधिकारियों की परेड कराई, तब भी नतीजा शून्य ही रहा। यह अधिकारी सूचना आयुक्त को ही गलत जानकारी थमाकर चलते बने। इसे राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने गंभीरता से लिया है और लोक निर्माण विभाग के प्रमुख सचिव मलय श्रीवास्तव की जवाबदारी तय कर सभी अफसरों पर कार्रवाई करने के आदेश दिए हैं।

 

अफसरों पर 25-25 हजार रुपए जुर्माना
2016 के इस मामले में लोक निर्माण विभाग में वेतनमान से संबंधित प्रकरण में सेवानिवृत्त कर्मचारी श्रीनिवास तिवारी ने जब गलत जानकारी की शिकायत की तो सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने इसे गंभीरता से लेते हुए नाराजगी जाहिर की। राहुल सिंह ने तत्काल इस मसले पर एक्शन लेते हुए तत्कालीन और वर्तमान एग्जीक्यूटिव इंजीनियर 25-25 हजार रुपए का जुर्माना लगाया है। इसके साथ ही पीडब्ल्यूडी के इंजीनियर इन चीफ आरके मेहा के खिलाफ 25 हजार जुर्माना और विभागीय कार्रवाई के लिए कारण बताओ नोटिस जारी किया है। इस मामले में लोक निर्माण विभाग के प्रमुख सचिव मलय श्रीवास्तव की जवाबदारी तय करते हुए पूरी जानकारी देने के आदेश दिए हैं। राहुल सिंह ने प्रमुख सचिव को गलत सूचना देकर गुमराह करने वाले अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई के भी आदेश दिए हैं।

 

RTI

यह भी दिए निर्देश
इसके अलावा सूचना आयोग के निर्देशानुसार इस प्रकरण में प्रमुख सचिव लोक निर्माण विभाग मलय श्रीवास्तव ने अपने विभाग के सभी लोक सूचना अधिकारियों को निर्देशित किया है कि वे वेतन और पेंशन से संबंधित लंबित RTI (आरटीआई) प्रकरणों का तत्काल निराकरण करें।

 

तो विभाग को मुखिया जिम्मेदार
इस पूरे मामले में रोचक तथ्य यह है कि जब रीवा संभाग स्तर पर जानकारी देने की व्यवस्था ध्वस्त हो गई, तो सूचना आयुक्त ने सीधे प्रदेश के इंजीनियर-इन-चीफ (मुख्य अभियंता) आरके मेहरा की जवाबदेही तय की। लेकिन, इसके बावजूद अपीलकर्ता को गलत जानकारी थमा दी गई। अब आयोग ने ईएनसी मेहरा के ऊपर भी प्रमुख सचिव मलय श्रीवास्तव की जवाबदेही तय कर दी है।

 

भ्रामक जानकारी देना गलत
विभाग की ओर से गलत जानकारी देने पर सूचना आयुक्त राहल सिंह ने चिंता जताई है। उन्होंने अपने फैसले में कहा है कि यह चिंताजनक स्थिति है कि सूचना का अधिकार का उपयोग करने वाले अपीलकर्ताओं की अक्सर यह शिकायत रहती है कि उन्हें गलत और भ्रामक जानकारी दी जाती है। यह तब और गंभीर विषय हो जाता है, जब आयोग के समक्ष ही संपूर्ण एवं सही बोल कर गलत जानकारी दी जाती है। विभाग के प्रमुख अभियंता द्वारा सूचना आयोग के समक्ष भ्रामक जानकारी देना घोर आपत्तिजनक है।

 

एक नजर
-राहुल सिंह ने कहा कि विधि विरुद्ध गलत जानकारी देकर लोक निर्माण विभाग ने आयोग के आदेश एवं सूचना का अधिकार कानून की अवहेलना भी की है।
-इस प्रकरण में आयोग के आदेश पर पहले ही लोक निर्माण विभाग अपीलकर्ता को दस हज़ार का जुर्माना अदा कर चुका है।
-पिछली सुनवाई पर सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने जब अपील कर्ता को दस हजार देने के लिए कहा, तो ईएनसी मेहरा ने टालमटोल करते हुए हर्जाना नहीं देने के लिए कहा। इस पर सूचना आयुक्त ने सख्त होते हुए इसे आयोग के आदेश की अवमानना के रूप में दर्ज करने को कहा, तो ईएनसी ने तुरंत 10 हजार रुपए नगद राशि आयोग के समक्ष अपीलकर्ता को दे दिए।

-अपने इस आदेश में सूचना आयोग ने पीडब्ल्यूडी के ईएनसी मेहरा के रवैया पर सख्त आपत्ति भी जताई है। दरअसल मेहरा ने आयोग की तरफ से अपने आप को डीम्ड पीआईओ के रूप में जवाबदेह बनाने पर सूचना आयुक्त के समक्ष लिखित में आपत्ती दर्ज कराई थी।
-राहुल सिंह ने जारी आदेश मे कहा कि आयोग के अधिकार क्षेत्र पर सवाल उठाते हुए सूचना का अधिकार क़ानून की जानकारी लोक निर्माण विभाग के मुखिया इंजीनियर इन चीफ मध्य प्रदेश श्री आरके मेहरा को ना होना आयोग के लिए चिंता का विषय है। यही वजह है कि आयोग के निचले स्तर पर लोक सूचना अधिकारी और प्रथम अपीलीय अधिकारी भी सूचना का अधिकार अधिनियम की भावना एवं कानूनी प्रावधानों से परिचित नहीं है।”
-इस मामले में प्रथम अपीलीय अधिकारी सुपरिटेंडेंट इंजीनियर रीवा एके झा ने 7 बार सुनवाई की, इनमें से 5 बार लोक सूचना अधिकारी एग्जीक्यूटिव इंजीनियर हरि सिंह ठाकुर हाज़िर ही नहीं हुए। 2017 में 16 पेज की गलत जानकारी आवेदक को दी गई। इसके बाद आयोग के आदेश के बाद विभाग ने अब 35 पेज की जानकारी दी, जिनमें से तीन बिंदुओं की जानकारी गलत थी। इसलिए आयोग की कार्रवाई की जद में अब तत्कालीन एग्जीक्यूटिव इंजीनियर रीवा हरि सिंह ठाकुर, वर्तमान एग्जीक्यूटिव इंजीनियर रीवा नरेंद्र शर्मा एवं ईएनसी आरके मेहरा भी आ गए हैं।

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