scriptajadi : रामायण मंडली बांटती थी पर्चे, व्यायाम शाला में बनती थी रणनीति | Ramayana troupe used to distribute pamphlets | Patrika News
भोपाल

ajadi : रामायण मंडली बांटती थी पर्चे, व्यायाम शाला में बनती थी रणनीति

90 साल के चतुर्भुज सिंह राजपूत ने बताई आजादी की लाड़ाई की दास्तां

भोपालAug 11, 2022 / 09:35 pm

brajesh tiwari

ajadi : रामायण मंडली बांटती थी पर्चे, व्यायाम शाला में बनती थी रणनीति

90 साल के चतुर्भुज सिंह राजपूत ने बताई आजादी की लाड़ाई की दास्तां

सागर। आजादी के आंदोलन में सागर प्रदेशभर में सबसे ज्यादा एक्टिव रहा। जब जलियावाला बाग हत्याकांड हुआ तो इसके बाद कानून बना कि पांच लोग एक जगह मिलने पर गोली मार दी जाएगी। क्रांतिकारियों ने इसका भी तोड़ निकाल लिया। 1919 में पहला अखाड़ा शुरू किया गया। महिलाओं की रामायण मंडली बनी। सागर में गौरीशंकर पाठक बीजासेन मंदिर के पुजारी थे। रामायण मंडली का संचालन यहीं से होता था। मंडली की मुखिया सुंदरबाई, गिरजाबाई दुबे और मेरी मां थी जो मंडली में खजड़ी बजाती थी। मां दिनभर का पूरा हाल हमें सूनाती थी। रामायण मंडली भजन कीर्तन के साथ चुपचाप क्रांंति के पर्चे भी बांटती थी। हम भी चुपके से पर्चे बांटते थे। एक बार मंडली पर्चे बांटते धोखे से पकड़ी गई। अंग्रेज अधिकारियों ने गवर्नमेंट स्कूल में उन्हें रोककर दिनभर पूछताछ की। छत्रसाल व्यायाम शाला ने भी आजादी के आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसके 33 कार्यकर्ता फ्रीडम फाइटर रहे, जेल गए। मास्टर छोटे लाल गुप्ता एमएलए रहे। पत्रकारों में मास्टर ज्वाला प्रसाद जोशी थे, जो सांसद भी रहे। अब्दुल गनी चाचा ने मास्टरी छोड़ देहाती दुनिया अखबार निकाला। एक बार अंग्रेजों ने शिकार के दौरान हांका करने वाले को गोली से मार दिया। इसे अब्दुल चाचा ने पूरे घटना क्रम को छापा। अंग्रेज नाराज हुए तो उन्हें जेल में डाल दिया।
सती प्रथा पर पहला सर्कुलर

जब गर्वनर जनरल सागर आए तो उन्होंने देखा कि जिले में हजारों जगह सती के पत्थर लगे हुए हैं। इससे वह बेचैन हुए और कलकत्ता जाकर इस पर रोक लगाने के लिए एक सर्कुलर निकाला। यह सती प्रथा पर रोक लगाने का भारत में पहला मामला था। इसके बाद सती प्रथा पर रोक लगाने का कानून बना।

प्रेस की स्थापना

एक बार कर्नल आलकॉट सागर आए जब उन्होंने देखा की यहां काफी लोग अंग्रेजी बोल और पढ़ लेते हैं तो खूब प्रभावति हुए। उन्होंने पता किया तो जानकारी लगी कि इससे पहले गर्वनर आए थे वह यहां से पं कृष्ण देव में आपने साथ ले गए और अंग्रेजी का प्रशिक्षण दिया। इसके बाद सागर प्रेस की स्थापना की गई। प्रेस का नाम आलकॉट प्रेस रखा गया।1923 में अंग्रेजी अखबर उदय का प्रकाशन यहां से होने लगा था। यह अखबार एक बंगाली परिवार निकलता था। फिल्म अभिनेता अशोक कुमार और किशोर कुमार उनके रिश्तेदार थे। उस समय अशोक और किशोर खूब सागर आते थे।

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