चुनाव आयोग इस प्रक्रिया में रेण्डमाइजेशन का उपयोग इसलिए कर रहा है जिससे प्रक्रिया में निष्पक्षता बनी रहे। इससे कर्मचारियों को यह पहले से उन्हें पता नहीं चलेगा कि उनकी चुनाव में ड्यूटी कहां और मतगणन के दौरान किस काउंटर पर लगाई गई है।
चुनाव कार्य और मतगणन में चार लाख कर्मचारियों और अधिकारियों की ड्यूटी लगाई गई है। प्रदेश में करीब डेढ़ लाख पुलिसकर्मियों की चुनाव में ड्यूटी लागाई जाएगी, इसके अलावा केन्द्र से पैरामिलिट्री फोर्स भी मांगा गया है।
प्रत्येक विधानसभा में एक मतदान केन्द्र ऐसा होगा जहां चुनाव में ड्यूटी करने वाली सभी अधिकारी-कर्मचारी महिलाएं होगी। निर्देशों में कहा गया है कि सभी जिला निर्वाचन अधिकारी मतदान और मतगणना के एक-दो हफ्ते पहले रेण्डमाइजेशन की प्रक्रिया प्रारंभ करेंगे। इसमें जिला निर्वाचन अधिकारी सॉफ्टवेयर का उपयोग कर मतगणना में लगने वाले अमले की आवश्यक संख्या के 120 प्रतिशत कर्मियों का चयन करेंगे।
इसमें गणना पर्यवेक्षक, गणना सहायक, माइक्रो पर्यवेक्षक और रिजर्व अमला शामिल होगा। इस प्रारंभिक प्रक्रिया में चुनाव आयोग द्वारा नियुक्त पर्यवेक्षक की उपस्थिति आवश्यक नहीं होगी। इस प्रक्रिया का उद्देश्य अमले को चिन्हित और चयनित करना है।
इस अमले की जिले के किसी भी विधानसभा क्षेत्र में गणना पर्यवेक्षक, गणना सहायक, माइक्रो पर्यवेक्षक के रूप में तैनाती की जायेगी। रेण्डमाइजेशन की इस स्थिति में गणना स्टॉफ को यह कतई नहीं बताया जायेगा कि उनकी तैनाती किस विधानसभा क्षेत्र में होगी।
जिला निर्वाचन अधिकारी द्वारा विधानसभा क्षेत्रवार रेण्डमाइजेशन की कार्रवाई मतगणना गणना शुरू होने के 24 घंटे पहले पर्यवेक्षक की उपस्थिति में की जायेगी। इसके बाद रिटर्निंग ऑफीसर गणना कर्मियों को विधानसभा क्षेत्रवार नियुक्ति-पत्र देंगे।