इनको संरक्षित करना चाहिए, ताकि भावी पीढिय़ों को अतीत जानने में मदद मिल सके। एक हजार से अधिक बच्चों को पुरातात्विक जानकारी दी जा चुकी है। उपन्यास, नाटक, इतिहास आदि में उन्होंने काफी काम किया है। बाजीराव पेशवा पर आयोजित कार्यक्रम में प्रोजेक्टर के जरिए प्रतिभागियों और बच्चों को जानकारी दी।
वरिष्ठ पुरातत्वविद् डॉ. नारायण व्यास ने बताया कि पूरे देश में विश्वस्तर के ३५ संरक्षित स्मारक हैं, जिनमें से तीन केवल मध्यप्रदेश में हैं। प्रदेश का प्राचीनतम स्मारक भीमबेटका को माना जाता है। यह विश्वदाय स्मारक है। इसके शैलाश्रय लगभग एक लाख वर्ष पुराना इतिहास बताते हैं। विश्वदाय स्मारक सांची सम्राट अशोक के समय का माना जाता है।
खजुराहो को चंदेल राजवंश की उत्तम स्थापत्य कला का नमूना माना जाता है। यहां पर २५ से अधिक मंदिरों को संरक्षित किया गया है। विश्व में अलग स्थान रखने वाली खजुराहो के मंदिरों की कला एक हजार वर्ष से भी पुरानी मानी गई है। इस कार्य में प्रज्ञा विद्यालय के डायरेक्टर नरेन्द्र राठौर, प्राचार्य इंद्राणी बनर्जी का प्रमुख योगदान रहता है। इसके सिवा भी प्रदेश के कई अन्य स्थानों पर बच्चों,
इनके बारे में विस्तार से बताया भीम बेटका, रानी की बाव, महाबलीपुरम के मंदिर, खजुराहो के मंदिर, इस्लाम नगर के महल, कोलार क्षेत्र के शैलचित्र, कठौतिया के शैलाश्रय, आशापुरी के मंदिर समेत कई पुरातात्विक महत्व के स्मारकों, शैलचित्रों, शैलाश्रयों आदि के बारे में स्टूडेंट्स, टीचर्स, ग्रामीणों व अन्य प्रतिभागियों को विस्तृत जानकारी दी।