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क्या फिर बदलने वाला है वर्ल्ड क्लास रानी कमलापति रेलवे स्टेशन का नाम?

locationभोपालPublished: Jan 19, 2022 03:40:52 pm

Submitted by:

Faiz

सिवनी जिले के एक अधिवक्ता ने जबलपुर हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर करते हुए मांग की है कि, भोपाल के रानी कमलापति रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर वापस हबीबगंज रेलवे स्टेशन ही करना चाहिए, इसके पीछे वजह है।

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क्या फिर बदलने वाला है वर्ल्ड क्लास रानी कमलापति रेलवे स्टेशन का नाम?

भोपाल. मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में स्थित देश के सबसे अत्याधुनिक कमलापति रेलवे स्टेशन के नाम एक बार फिर बदलने की अटकलें चर्चा में आने लगी हैं। इस बार की चर्चाएं मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में लगी याचिका में दिए गए तर्क के आधार पर आ रही हैं। दरअसल, प्रदेश के सिवनी जिले के एक अधिवक्ता ने जबलपुर हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर करते हुए मांग की है कि, भोपाल के रानी कमलापति रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर वापस हबीबगंज रेलवे स्टेशन ही करना चाहिए, इसके पीछे वजह है।


याचिका कर्ता का तर्क है कि, सन 1973 में मुस्लिम गुरु हबीब मियां ने अपनी जमीन रेलवे स्टेशन के लिए दे दी थी। यही वजह है कि, स्टेशन का नाम उन्हीं के नाम पर हबीबगंज रेलवे स्टेशन रखा गया था। याचिकाकर्ता ने कहा कि, जिस शख्स ने अपनी जमीन सार्वजनिक कार्यों के लिए दान की हो, उसका नाम नहीं हटाया जाना चाहिए। लिहाजा कमलापति रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर फिर से हबीबगंज रेलवे स्टेशन होना चाहिए।


हालांकि, इस मामले में सरकार भी अपना पक्ष रख रही है। याचिका में सरकार की ओर से तर्क दिया गया है कि, हबीबगंज रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर रानी कमलापति रेलवे स्टेशन रखने के पीछे ऐतिहासिक वजह है। फिलहाल, मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता और सरकार यानी दोनों पक्षों की दलीलें और तर्क सुन लिए हैं। इसके बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है।

आपको बता दें कि, भोपाल में स्थित जब से ये रेलवे स्टेशन वजबद में आया है, इसका नाम हबीबगंज स्टेशन रहा है। क्योंकि, इस स्टेशन के लिए जमीन हबीब मियां द्वारा ही दान की गई थी। सरकार ने इसका नाम बदलकर रानी कमलापति स्टेशन कर दिया है, तभी से इस स्टेशन के नाम पर सियासत भी जारी है।


आनन फानन में नाम बदलकर उद्घाटन

बता दें कि, इस स्टेशन को देश का सबसे आधुनिक स्टेशन भी कहा जाता है, क्योंकि इसमें पीपीपी मोड के तहत शुरू की गई सुविधाएं अपने आप में अंतरराष्ट्रीय स्तर की हैं।एयरपोर्ट की तर्ज पर विकसित किए गए स्टेशन का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा किया गया था। स्टेशन का नाम बदलने के लिए सरकार ने भी आनन-फानन में फैसला लिया था। तुरंत ही नाम बदलते हुए रानी कमलापति स्टेशन के नाम से उद्घाटन भी कर दिया।

 

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किसके तर्क और प्रमाण प्रभावी?

आदिवासी जननायक के नाम पर हबीबगंज स्टेशन के नाम को लेकर प्रदेशभर में खासा सियासत भी हुई। सीधा फायदा सरकार को होना था। क्योंकि, नाम बदलने की बात करके विपक्ष आदिवासी वर्ग को अपने खिलाफ नहीं करना चाहता था। इसी के चलते विपक्ष उतना ठोस विरोध दर्ज नहीं करा सका। बहरहाल, इस याचिका के माध्यम से सिवनी के याचिकाकर्ता ने सरकार के फैसले पर सवाल उठाए हैं। फिलहाल, हाईकोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है। देखने वाली बात ये है कि, न्यायपालिका के समक्ष याचिकाकर्ता के तर्क और प्रमाण ज्यादा प्रभावी हैं या सरकार के।

 

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