नोटबंदी के समय बढ़ गई थीं एकाउंट के दुरुपयोग होने की संभावना
स्टेट बैंक के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक नोटबंदी के समय एकाउंट के दुरुपयोग होने की संभावना बढ़ गई थीं। लोग अपने कालेधन को बचाने के लिए एक दूसरे के एकाउंट में पैसा डाल रहे थे। हालांकि ऐसा जिन लोगों ने किया था, उनके खातों पर आयकर विभाग की भी नजर थीं। कई लोगों से आयकर विभाग ने नोटिस जारी करके सिर्फ बैंक खातों के आधार पर ही पूछताछ की थीं। उस दौरान भारतीय रिजर्व बैंक के निर्देश पर बैंक ने नियम बना दिये थे कि जिस व्यक्ति का बैंक खाता होगा वहीं पैसे जमा कर सकता है और निकाल सकता है।
नियमानुसार इसमें पुत्र भी अपने पिता के खाते में पैसे जमा नहीं कर सकता था। यदि ज्यादा मजबूरी में खाताधारक बैंक में नहीं आ सकता तो उसे यह सत्यापित करना होता था कि उसी ने पैसा जमा करने के लिए भिजवाया है। यह गाइडलाइन भारतीय रिजर्व बैंक ने जारी की थी। अब नियमों में थी ढीलबैंक अधिकारी के मुताबिक अब परिवार का कोई भी सदस्य जिससे खून का रिश्ता हो, बैंक खाते में पैसा जमा कर सकता है। निकालने के लिए चैक जारी करके निकाला जा सकता है।
नोटबंदी के समय बैंकों ने रिजर्व बैंक की गाइडलाइन पर नियम कड़े कर दिये थे। खासकर स्टेट बैंक में पैसा निकालने और जमा करने पर यह स्थिति ज्यादा देखने में आई थी लेकिन अब बदलाव आने लगा है। इसका एक कारण पुरानी मुद्रा का चलन बंद होना भी है।
आदित्य जैन मनयां, आर्थिक विश्लेषक