वहीं एनडीए गठगबंधन को कुल 350 सीटें हासिल हुई हैं। जबकि इसकी दूसरी ओर कांग्रेस महज 52 सीटों पर जीत दर्ज कर पाई और सहयोगी दलों को मिलाकर यूपीए को 92 सीटें ही मिली।
कांग्रेस की इस पूरी हार में मध्यप्रदेश का भी काफी बड़ा रोल रहा है। जहां की 29 सीटों में से कांग्रेस केवल एक सीट पर ही अपनी जीत दर्ज करा सकी, जबकि उसके दिग्विजय सिंह व ज्योतिरादित्य सिंधिया जैसे दिग्गज नेताओं को तक हार का सामना करना पड़ा।
इस दौरान यहां तक की कांग्रेस उन तीन राज्यों में तक काफी कमजोर स्थिति में रही, जहां अभी करीब 5 से 6 माह पहले ही उसने भाजपा की सरकारें उखाड़ कर अपनी सरकार बनाई है।
इन तीन राज्यों में मप्र,छत्तीसगढ़ व राजस्थान में कांग्रेस को 65 में से केवल 3 सीटें जीत कर संतुष्ट होना पड़ा है। जिसके बाद से कांग्रेस में कई तरह के सवाल उठने शुरू हो गए। ऐसे में कांग्रेस अपनी इस हार की समीक्षा में लगी है।
MUST READ : तीन राज्य जहां अपनी ही सरकार होने के बावजूद 65 में से केवल 3 सीटें ही मिलीं कांग्रेस को…
मध्यप्रदेश में हुई कांग्रेसी की इस बड़ी हार में सबसे ज्यादा चर्चा सिंधिया व दिग्विजय सिंह के हारने की रही। एक ओर जहां सिंधिया अपने ही पूराने कांग्रेसी से हार गए। वहीं देश की सबसे हॉट सीट भोपाल पर दिग्विजय सिंह तक को पहली बार चुनाव में उतरी भाजपा प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने शिकस्त दे दी।
कांग्रेस की इस हार के कारणों की तलाश के बीच सीएम कमलनाथ का एक बयान आया है। जहां उन्होंने दिग्विजय सिंह की हार के मुख्य कारणों को खुल कर बताया।
ये रहे दिग्विजय की हार के कारण…
मध्य प्रदेश के भोपाल में दिग्विजय सिंह की हार और प्रज्ञा ठाकुर की जीत पर कमलनाथ ने कहा कि इसके पीछे केवल हिंदुत्व का मुद्दा हावी रहा।
उनका कहना था कि ध्रुवीकरण के माहौल के बीच जब लोग केवल हिंदू के तौर पर वोट करते हैं तो वे बाकी सभी मुद्दे भूल जाते हैं। मालूम हो कि कमलनाथ से पहले भोपाल सीट से हारे कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने भी प्रज्ञा की जीत पर चिंता जताई थी।
उन्होंने कहा था कि महात्मा गांधी की विचारधारा हार गई और गांधी के हत्यारे गोडसे की विचारधारा जीत गई। गोडसे का महिमामंडन करने वाली प्रज्ञा ठाकुर की जीत उनके लिए चिंता का सबब है।
दरअसल दिल्ली में कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक से पहले मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने भी हार के कारण गिनाए हैं। वहीं एक अंग्रेजी अखबार से बातचीत में कमलनाथ ने कहा कि कांग्रेस लोगों तक अपना संदेश पहुंचाने में पूरी तरह कामयाब नहीं हो सकी।
कमलनाथ ने एक अंग्रेजी अखबार से बातचीत में यहां तक कहा कि कांग्रेस लोगों तक अपना संदेश पहुंचाने में पूरी तरह कामयाब नहीं हो सकी। वहीं उन्होंने यह भी माना कि प्रियंका गांधी को लांच करने में भी देरी हुई। उनके अनुसार, प्रियंका गांधी को कांग्रेस के चुनाव प्रचार अभियान में काफी पहले ही जुड़ जाना चाहिए था।
कांग्रेस के एक और बड़े दांव ‘न्याय’ योजना का दावा करने में भी हुई देर को कमलनाथ हार की वजह बताते हैं। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि हम इसे पहले ही शुरू कर सकते थे, लेकिन काफी देर हो गई। भाजपा के तंज के बीच लोगों ने इसे बस एक कैंपेन की तरह समझा, जबकि यह उससे कहीं बढ़कर था।