इन तीन राज्यों में मप्र,छत्तीसगढ़ व राजस्थान में कांग्रेस को 65 में से केवल 3 सीटें जीत कर संतुष्ट होना पड़ा है। जिसके बाद से कांग्रेस में कई तरह के सवाल उठने शुरू हो गए। ऐसे में कांग्रेस अपनी इस हार की समीक्षा में लगी है।
ऐसे में राजगढ़ के एक कांग्रेसी नेता ने कांग्रेस की हार के बाद भाजपा से शर्त के तहत अपना मुंडन तक बीच बस स्टेंड पर कराया। इस नेता ने ये तक कह दिया कि मध्यप्रदेश में हार का कारण कांग्रेस का वो बयान था, जब 10 दिन में कर्ज माफी की बात कही गई थी।
राजगढ़ के एक स्थानीय नेता के इस बयान से प्रदेश में बवाल की स्थिति पैदा होनी शुरु हो गई थी! क्योंकि इस बयान से जोड़ कर यह हमला सीधे राहुल गांधी पर माना जा रहा था।
इसी बीच दिल्ली में कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक से पहले मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने भी हार के कारण गिनाए हैं। दरअसल मध्य प्रदेश में कांग्रेस की सरकार रहते हुए दिग्गज नेता सिंधिया की हार के साथ ही उसका तकरीबन सूपड़ा साफ हो गया और वह एक ही सीट जीत पाई। वह भी केवल कमलनाथ के बेटे नकुल नाथ की।
ये बोले कमलनाथ…
एक अंग्रेजी अखबार से बातचीत में कमलनाथ ने कहा कि कांग्रेस लोगों तक अपना संदेश पहुंचाने में पूरी तरह कामयाब नहीं हो सकी। वहीं उन्होंने यह भी माना कि प्रियंका गांधी को लांच करने में भी देरी हुई। उनके अनुसार, प्रियंका गांधी को कांग्रेस के चुनाव प्रचार अभियान में काफी पहले ही जुड़ जाना चाहिए था।
राहुल गांधी को लेकर ये कहा…
कमलनाथ ने मध्यप्रदेश में कांग्रेस की हार के पीछे भाजपा के चुनाव प्रचार अभियान को अपनी पार्टी के मुकाबले मजबूत माना। उन्होंने स्वीकार किया कि नरेंद्र मोदी का संदेश लोगों तक ज्यादा तेजी और अच्छे से पहुंचा, जबकि कांग्रेस अपना संदेश पहुंचाने में अपेक्षाकृत कम कामयाब रही।
वहीं, कांग्रेस की करारी हार के पीछे कमलनाथ ने राहुल गांधी के नेतृत्व पर सवाल नहीं उठाया। कहा कि वह हमारे नेता हैं और आगे भी वही रहेंगे। उनके नेतृत्व पर सवाल नहीं उठाया जा सकता।
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‘न्याय’ के दावे में देरी…
कांग्रेस के एक और बड़े दांव ‘न्याय’ योजना का दावा करने में भी हुई देर को कमलनाथ हार की वजह बताते हैं। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि हम इसे पहले ही शुरू कर सकते थे, लेकिन काफी देर हो गई।
भाजपा के तंज के बीच लोगों ने इसे बस एक कैंपेन की तरह समझा, जबकि यह उससे कहीं बढ़कर था। मालूम हो कि न्याय योजना के तहत कांग्रेस ने पांच करोड़ गरीब परिवारों को हर साल 72 हजार देने की बात कही थी.