सत्र शुरू होने के एक वर्ष बाद जारी हुई (वर्ष 2021-22 के लिए) मान्यता में पूर्व से स्थापित कई कॉलेज को बंद कर दिया गया है। इससे नर्सिंग कॉलेजों में पढ़ रहे करीब एक लाख बच्चों के भविष्य पर संकट आ गया है। प्रवेशित सत्र की मान्यता निरस्त होने से कॉलेज के संचालक मुखर हो गए हैं। कागजों पर खुले अस्पतालों की पोल खुलने के बाद नर्सिंग काउंसिल ने पूरे प्रदेश में ये कार्रवाई की।
नर्सिंग कॉलेज में पढ़ने वाले विद्यार्थियों की क्लीनिकल ट्रेनिंग के लिए अस्पताल की जरूरत होती है, लेकिन नर्सिंग कॉलेज संचालकों ने अस्पताल कागजों पर ही खोल लिए थे।
इसका मामला पहली बार तब सामने आया जब कोरोना काल में मरीजों को भर्ती करने के लिए इन अस्पतालों के पास व्यवस्था नहीं मिली। इसके बाद पूरे प्रदेश में अस्पतालों की जांच हुई, और बड़ी संख्या में अस्पतालों को बंद कर दिया गया।
अब नर्सिंग काउंसिल ने नर्सिंग कॉलेजों की भी जांच करवाई है। उसके बाद कार्रवाई का डंडा चलाया। नर्सिंग काउंसिल ने अप्रेल 22 के दूसरे सप्ताह में नर्सिंग कॉलेजों की मान्यता की सूची कॉलेजों के लॉगिन पर भेजी। मान्यता निरस्त होने की जानकारी मिलने के बाद कॉलेज संचालक सकते में आ गए, क्योंकि उन्हें न सिर्फ कॉलेज बंद करना पड़ेगा, बल्कि पूर्व से प्रवेशित अलग-अलग सत्रों के विद्यार्थियों को भी समायोजित करना होगा। कॉलेजों में पूर्व से पढ़ रहे विद्यार्थियों को कहां समायोजित किया जाएगा इसके बारे में अभी तक काउंसिल ने कोई निर्णय नहीं लिया है।
बिगड़ेगा अनुपात, टूटेंगे नियम
मान्यता निरस्त होने वाले कॉलेजों के अलग-अलग वर्षों में पढ़ रहे करीब एक लाख बच्चों को जिन कॉलेजों में समायोजित किया जाएगा वहां भी अस्पताल में क्लीनिकल ट्रायल का अनुपात टूटेगा।
दरअसल, 100 बेड के अस्पताल पर क्लीनिकल ट्रेनिंग के लिए कॉलेज को 30 विद्यार्थी को पढ़ाने की अनुमति होती है, इसमें द्वितीय और तृतीय वर्ष के बच्चे भी क्लीनिकल ट्रॉयल करते हैं। इस तरह एक बेड पर एक बच्चे को सीखने का मौका मिलता है। किसी कॉलेज में बंद होने वाले कॉलेजों के बच्चों को समायोजित किया जाता है, वहां अस्पताल की सीट और बच्चों के अनुपात का मानक टूटेगा।
नर्सिंग काउंसिल का निर्णय गलत है, इसके खिलाफ हम मंत्री से शिकायत करेंगे। पिछले सत्र की मान्यता प्रवेश प्रक्रिया पूरी होने के बाद जारी की, जबकि कॉलेजों में विद्यार्थियों का प्रवेश हो चुका है। अभी सूची सार्वजनिक नहीं हुई, लेकिन पूरे प्रदेश में 200 से अधिक कॉलेजों की मान्यता निरस्त हुई है।
- नवीन सैनी, उपाध्यक्ष, नर्सिंग कॉलेज संचालक एसोसिएशन
मान्यता की सूची सार्वजनिक क्यों नहीं की गई है, इस संदर्भ में रजिस्ट्रार से जवाब तलब किया जाएगा। सूची सार्वजनिक होनी चाहिए। कॉलेजों को रिव्यू भी कर रहे हैं, ग्वालियर के कुछ कॉलेज संसोधित हुए हैं। बच्चों के हित की रक्षा भी नियमानुसार की जाएगा।
- निशांत बरवड़े, आयुक्त चिकित्सा शिक्षा, मप्र सरकार
( वहीं इस संदर्भ में नर्सिंग काउंसिल की रजिस्ट्रार सुनीता सीजू को फोन, एसएमएस और वाट्सऐप पर बात करने की कोशिश की गई, लेकिन उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया )