1 जुलाई से नई दरों पर रजिस्ट्री होंगी। इधर स्टाम्प शुल्क बढऩे के कारण पिछले दो दिनों से पंजीयन कार्यालयों में रजिस्ट्री कराने वालों की संख्या बढ़ गई है। गुरुवार और शुक्रवार को दो दिन से सर्वर बीच-बीच में लोगों को परेशान करता रहा।
शुक्रवार को 347 रजिस्ट्री हुईं
इसके बाद भी भोपाल में शुक्रवार को 347 रजिस्ट्री हुईं हैं। इससे इतना तो साफ होता है सरकार ने भले ही जमीनों के रेट में बीस फीसदी की कमी कर दी हो, लेकिन स्टाम्प शुल्क बढऩे का असर जनता पर दिखाई दे रहा है। एक जुलाई से 12.5 फीसदी स्टाम्प शुल्क से रजिस्ट्री की जाएंगी।
पिछले दो साल से नई कलेक्टर गाइडलाइन को एक जुलाई से लागू किया जा रहा है। इससे पहले 1 अप्रेल नए वित्तिय वर्ष से दरें लागू की जाती थीं। इस कारण 31 मार्च तक रजिस्ट्री का आंकड़ा काफी बढ़ जाता था। वर्ष 2019-20 की नई गाइडलाइन एक जुलाई से लागू की जा रही है, ऐसे में जून माह के आखिरी दिनों में रजिस्ट्री का आंकड़ा बढ़ा है। जानकार बताते हैं कि अगर सर्वर सही रफ्तार से चलता रहता तो रजिस्ट्री का आंकड़ा और बढ़ सकता था।
लोगों में नाराजगी
दरअसल जमीनों के रेट तो सरकार ने कम कर दिए, लेकिन स्टाम्प शुल्क 2.2 फीसदी की बढ़ोतरी कर दी। इससे लोगों में थोड़ा रोष भी है। लोगों का मानना है कि सरकार अभी स्टाम्प शुल्क नहीं बढ़ाती तो लोगों को ज्यादा फायदा होता। शुक्रवार को ही एक-एक बिल्डर के यहां से 8 से 10 फ्लैटों की रजिस्ट्री कराई गईं हैं। सर्वर स्लो रहने से लोगों को आधे घंटे की जगह दो-दो घंटे पंजीयन कार्यालय में देने पड़े।