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रिलायंस ने काटे 28 हजार पेड़ तो वन अफसर फंस गए

locationभोपालPublished: Jul 03, 2019 09:35:07 pm

Submitted by:

anil chaudhary

जांच में बड़ा खुलासा : वन अफसरों ने की देरी तो कंपनी ने दे दिया कटाई का ठेका

Question on forest department

Question on forest department

भोपाल. रिलायंस कंपनी की गैस पाइपलाइन बिछाने के लिए अनूपपुर जिले में साल और सतकटा के 28 हजार से अधिक पेड़ काट दिए गए, लेकिन इनकी लकडिय़ां वन विभाग के डिपो तक नहीं पहुंचीं। इसका खुलासा एपीसीसीएफ ग्रीन इंडिया मिशन की ओर से गठित जांच कमेटी की प्रारंभिक रिपोर्ट में हुआ है। पीपीसीसीएफ ग्रीन इंडिया मिशन के. रमन ने सीसीएफ शहडोल से कटाई के मूल रेकॉर्ड और कूप मिलान पत्र की कॉपी तलब की है।
दरअसल, डिपो के निरीक्षण के दौरान पीसीसीएफ रमन को कई बिलों में ओवर राइटिंग और वाइटनर लगा मिला। इधर, वन विभाग की सतर्कता शाखा ने इसी मामले में एक शिकायत होने पर 10 करोड़ के गवन होने की जांच का पत्र भी एपीसीसीएफ ग्रीन इंडिया मिशन को लिखा है।
– ठेकेदार से कटवा दिए पेड़
रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड ने दक्षिण वनमंडल के गोहपारू क्षेत्र स्थित लालपुर से उत्तर प्रदेश तक मीथेन गैस की पाइपलाइन बिछाने के लिए वन विभाग को उनकी जमीन पर लगे पेड़ काटने के लिए डेढ़ करोड़ रुपए जमा कराए थे। इनकी लकड़ी वन विभाग के डिपो में जमा कराना था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। सूत्रों का कहना है कि कंपनी के बार-बार कहने के बावजूद वन अफसरों ने पेड़ नहीं काटे, इससे कंपनी का प्रोजेक्ट लेट हो रहा था। इस पर कंपनी ने पेड़ कटाई से लेकर डिपो में लकड़ी जमा कराने की जिम्मेदारी निजी ठेकेदार को दे दी, लेकिन पूरी लकडिय़ां डिपो तक नहीं पहुंच पाईं।
– ऐसे फंस गए वन अफसर
वन अफसरों ने रिलायंस कंपनी को गैस पाइपलाइन बिछाने के लिए बाधा बन रहे पेड़ों को काटकर डिपो में जमा करना बताया है। इसके लिए पेड़ कटाई और परिवहन के बिल भी काटे हैं। अब रेकॉर्ड मिलान न होने पर संबंधित अफसर संदेह के घेरे में आ गए हैं।
मामले की जांच चल रही है। कमेटी की अंतरिम रिपोर्ट में डिपो में लकड़ी कम जमा होना पाया गया है। मैं शिकायतकर्ताओं के बयान लेने के बाद आगे कार्रवाई की जाएगी।
– के. रमन, एपीसीसीएफ, ग्रीन इंडिया मिशन
अंतरिम जांच रिपोर्ट आई है, लेकिन अंतिम रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए जांच अधिकारी को लिखा गया है। शिकायतकर्ताओं का सहयोग न मिलने के कारण जांच में देरी हो रही है।
– डॉ. अभय पाटील, एपीसीसीएफ, सतर्कता एवं शिकायत
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