scriptपाइप लाइन बिछाने में कटे 28 हजार पेड़, पूरी लकड़ी नहीं पहुंची डिपो, जांच में हुआ खुलासा | Reliance pipeline laying of 28 thousand trees, but not complete timber | Patrika News

पाइप लाइन बिछाने में कटे 28 हजार पेड़, पूरी लकड़ी नहीं पहुंची डिपो, जांच में हुआ खुलासा

locationभोपालPublished: Jul 03, 2019 10:19:11 am

Submitted by:

Ashok gautam

ग्रीन इंडिया मिशन एपीसीसीएफ की जांच कमेटी में हुआ खुलासा

Pipeline to be constructed at a cost of Rs 27 lakh

Pipeline to be constructed at a cost of Rs 27 lakh

भोपाल. रिलायंस इंडस्ट्री लिमिटेड ( Reliance Industries Limited ) सीबीएम की पाइप लाइन बिछाने के लिए अनूपपुर ( anuppur ) जिले में साढ़े 28 हजार पेड़ों ( Trees ) की कटाई और लकड़ी डिपो तक पहुंचने का मिलान नहीं हो पा रहा है।

पेड़ों की कटाई और डिपो में पहुंचे लकड़ी स्टाक में काफी अंतर आ रहा है। यह खुलासा एपीसीसीएफ ग्रीन इंडिया मिशन ( Green India Mission ) द्वारा गठित जांच कमेट की प्रारंभिक रिपोर्ट में हुआ है। हालांकि पीपीसीसीएफ ग्रीन इंडिया मिशन के. रमन इस जांच से अभी संतुष्ट नहीं हैं, उन्होंने सीसीएफ शहडोल से कटाई के मूल रिकार्ड और कूप मिलान पत्र की कापी बुलाई है।

 

इन दोनों रिकार्ड के कई बिलों में ओवर राइटिंग और वाइटनर लगाने का भी मामला सामने आया है। वहीं इस मामले में सतर्कता और शिकायत शाखा ने भी एपीसीसीएफ ग्रीन इंडिया मिशन को इस मामले में दस करोड़ रुपए के गबन की जांच रिपोर्ट देने के संबंध में पत्र लिखा है।

रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड दक्षिण वनमंडल के गोहपारू क्षेत्र स्थित लालपुर से पाइप लाइन के जरिए उत्तर प्रदेश मीथेन गैस लेकर जा रही है। इसके लिए कंपनी ने केंद्र सरकार से 77.05 हेक्टेयर वनभूमि से पाइप लाइन बिछाने की अनुमति ली है।

इस लाइन की जगह पर 28 हजार 576 साल और सतकटा के पेड़ थे। इन पेड़ों को काटने के लिए कंपनी से डेढ़ करोड़ रुपए से अधिक राशि सरकारी कोष में जमा कराई। ग्राम नरगी निवासी कैलाश त्रिपाठी ने शिकायत की थी कि पेड़ कटाई में बडे पैमाने पर गड़बड़ी हुई है। उनका आरोप है कि वन अफसरों ने स्वीकृति के बाद पेड़ काटने में देरी कर रहे थे, उनका प्रोजेक्ट पिछड़ रहा था। इसके चलते कंपनी ने रीवा के एक ठेकेदार से पेड़ कटवाकर विभाग के डिपो में भेज दिया।

 

अधिकारियों ने पेड़ों की काटाई का लगाया बिल

वनों की कटाई रिलायंस ने ठेकेदार से कराई थी। लेकिन वन अफसरों ने पेड़ कटाई के कुछ वाउचर बनाकर विभाग को यह बताया है कि पेड़ विभाग ने कटाए हैं। त्रिपाठी का आरोप है कि जंगल से ढुलाई के समय लकड़ी भी चोरी हुई है। शिकायतकर्ताओं ने अवैध रेत खनन और वाहनों की जब्ती में भी गड़बड़ी का आरोप लगाए हैं।

 

जांच पर उठे सवाल

पूरे मामले की जांच अगस्त 2018 से ग्रीन इंडिया मिशन के एपीसीसीएफ के. रमन कर रहे हैं। उन्होंने पहले सीसीएफ शहडोल से प्रतिवेदन मांगा था। लेकिन वे सीसीएफ के प्रतिवेदन से संतुष्ट नहीं हुए। इसके लिए रमन ने अनूपपुर डीएफओ की अध्यक्षता में मार्च-19 में कमेटी गठित की थी।

जिसने जून में अंतरिम रिपोर्ट सौंपी है, लेकिन इस रिपोर्ट में भी कई तथ्यों की जानकारी नहीं दी। कमेटी ने पूरी जांच कर ली, लेकिन प्रतिवेदन के साथ ये दस्तावेज भी नहीं भेजे कि कितने पेड़ काटे गए और कितने पेड़ कूप में पहुंचे।

जो पेड़े काटे गए थे उसी पेड़ की लकड़ी कूप में पहुंची यह दूसरे पेड़ों की लकड़ी पहुंचा दी गई। जांच अधिकारी रमन अब कमेटी से कूप मिलान पत्रक मांग रहे हैं।

 


मामले की जांच चल रही है। अभी कमेटी की अंतरिम रिपोर्ट आई है, लेकिन उसमें कूप मिलान पत्रक नहीं है। जिस कारण सही स्थिति नहीं बताई जा सकती है। अब मैं शिकायतकर्ताओं के बयान लूंगा। वे भी भोपाल आने से बच रहे हैं और प्रमाण भी उपलब्ध नहीं करा रहे।
– के. रमन, एपीसीसीएफ, ग्रीन इंडिया मिशन

अंतरिम जांच रिपोर्ट आई है, लेकिन अंतिम रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए जांच अधिकारी को लिखा गया है। शिकायतकर्ताओं का सहयोग न मिलने के कारण जांच में देरी हो रही है।
– डॉ. अभय पाटील, एपीसीसीएफ, सतर्कता एवं शिकायत
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो