पंचभूत माया के विकार हैं, सत्य केवल ब्रह्म है स्वामीजी ने बताया कि सत्य को जानने के कई तरीके हैं, पंचभूत विवेक भी ब्रह्म को समझने का ही एक माध्यम है। पांच भूत हैं – आकाश, वायु, अग्नि, जल और पृथ्वी। संसार में जो भी दिखता है वह इन्हीं पांच भूतों से बना हुआ है। जगत की सृष्टि से पूर्व केवल सत ही था। सारे जगत में नाम और रूप ही है जो माया द्वारा भूत प्रपंच के माध्यम से गढ़ा जाता है।
सरल उदाहरणों से समझाया वेदान्त स्वामीजी ने उदाहरणों के माध्यम से समझाया कि जिस प्रकार हम दीवार पर रंग पोतते हैं, उसी प्रकार माया ब्रह्म को ढँक देती हैं। पंचभूत माया के ही विकार हैं। जैसे स्वप्न में दिखा हाथी सत्य नहीं है उसी प्रकार इस जगत में दिखने वाले पंचभूत भी सत्य नहीं हैं। इनकी सत्ता ब्रह्म से ही है। इसी प्रकार पंचभूत विवेक होने पर हम माया से भ्रमित नहीं होते। इसीलिए वेदान्त में कहा है ब्रह्म ही सत्य है, जगत मिथ्या है। मैं ही सत हूँ। इस व्याख्यान का लाइव प्रसारण न्यास के यूट्यूब चैनल और फेसबुक पेज पर किया गया।