प्रदेश में पंच, सरपंच, जिला और जनपद पंचायत के निर्वाचन क्षेत्र का आरक्षण किया जाना है। पंच, सरपंच, जिला और जनपद पंचायत अध्यक्ष पद का आरक्षण जिला स्तर पर होगा। जिला पंचायत के अध्यक्ष पद का आरक्षण शासनस्तर पर तय होगा।
आरक्षण की प्रक्रिया राज्य पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग की रिपोर्ट के आधार पर ही की जाएगी। पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के अधिकारियों के मुताबिक कलेक्टर इसके आधार पर ही ओबीसी के लिए सीट आरक्षित करेंगे। अधिकारियों का कहना है कि आरक्षण संबंधी नियमों में संशोधन भी होगा. अभी अनुसूचित जाति-जनजाति के लिए संविधान के अनुसार सीट आरक्षित करने के बाद पिछड़ा वर्ग को शेष सीटों में से अधिकतम 25 प्रतिशत आरक्षण देने का प्रावधान है।
पंचायत और नगरीय निकाय चुनाव के लिए गुरुवार को आरक्षण के संबंध में कलेक्टरों को निर्देश दिए गए। आरक्षण की प्रक्रिया एक सप्ताह में पूरी की जानी है। इस बीच राज्य निर्वाचन आयोग ने मतदाता सूची सहित अन्य तैयारियां कर ली हैं। कलेक्टरों को मतदान सामग्री, मतदानकर्मी, मतदान केंद्र सहित अन्य व्यवस्थाएं सुनिश्चित करने के पहले ही निर्देश दिए जा चुके हैं।
गौरतलब है कि नगरीय विकास एवं आवास विभाग ने सन 2020 में परिसीमन और आरक्षण किया था। इसमें 16 नगर निगम में आरक्षण किया गया था. इसके अनुसार अनुसूचित जाति के लिए उज्जैन और मुरैना, अनुसूचित जनजाति के लिए छिंदवाड़ा तथा अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए सतना, भोपाल, रतलाम और खंडवा प्रस्तावित थे। प्रदेश के 9 नगर निगमों में महापौर का पद अनारक्षित था। अब 50 प्रतिशत आरक्षण की सीमा के अनुसार पिछड़ा वर्ग के लिए एक और पद मिल सकता है। इसी तरह प्रदेश की 99 नगर पालिकाओं में से अनुसूचित जनजाति के लिए 6, अनुसूचित जाति के लिए 15 और ओबीसी के लिए 25 पद आरक्षित किए गए थे। इस तरह कुल 46 पद आरक्षित हुए। अब इनमें पिछडा वर्ग के लिए तीन पद और बढ़ाए जा सकते हैं। प्रदेश की कुल 292 नगर परिषद में भी आरक्षण होना है। वर्ष 2020 में किए गए आरक्षण के अनुसार अनुसूचित जनजाति के लिए 27, अनुसूचित जाति के लिए 46 और अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए 73 सीटें आरक्षित की गईं थीं। 50 प्रतिशत आरक्षण की सीमा में इस श्रेणी में कोई बढ़ोतरी नहीं होगी।