उधर, मध्यप्रदेश के सामान्य, पिछड़ा वर्ग और अल्पसंख्यकों के संगठन ने कहा है कि कोर्ट का यह फैसला सही है, लेकिन यह पूरी जीत नहीं है।
पत्रिका के फेसबुक पेज पर सैकड़ों लोगों ने अपने प्रतिक्रिया व्यक्त की है। जिसमें किसी ने इस फैसले को सही बताया तो किसी ने कहा कि राज्य सरकारों को आरक्षण लागू करने का अधिकार देकर ठीक नहीं हुआ है।
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सुप्रीम कोर्ट का सबसे बड़ा फैसलाः सरकारी नौकरी में एससी/एसटी को प्रमोशन नहीं
क्या कहते हैं लोग
-धर्मेंद्र तोमर नामक व्यक्ति तंज कसते हुए लिखते हैं कि यदि सरकार चाहती है तो दो माह बाद होने वाले चुनाव से पहले अध्यादेश लाकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलट सकती है।
–बालगोविंद बसंगे कहते हैं कि कोर्ट का फैसला बिल्कुल सही है, वह इसलिए कि प्रमोशन के बाद वह अपने मातहत पर सत्ता का दुरुपयोग कर सकता है और क्रीमिलेयर का क्या हुआ?
-इंजीनियर करण वर्दिया कहते हैं कि अभी ये मुद्दा खत्म नहीं हुआ है। राज्य सरकारों के ऊपर छोड़ दिया है। मध्यप्रदेश में माई के लाल हैं तो देख लो तुम्हारे हिसाब से।
–कुंजलता झा ने भी सुप्रीम कोर्ट के फैसले को सही बताया है। झा ने मांग भी की है कि इस फैसले को तत्काल लागू किया जाना चाहिए।
–राजकुमार मेहता नामक यूजर लिखते हैं कि सरकार कुछ न कुछ जोड़-तोड़ कर सकती है।
-एक यूजर लोकेश यादव लिखते हैं कि काम में आरक्षण कोई मायने नहीं रखता है। यदि कार्य अच्छा करेंगे तो प्रमोशन के लिए किसी आरक्षण की जरूरत ही नहीं पड़ेगी। और, उसमें भी यदि आरक्षण दिया जाए तो यह अच्छे कार्य करने वाले के अधिकारों का ही हनन होग।
हरिश कुमार लिखते हैं कि सुप्रीम कोर्ट ने दोनों पक्षों की बात कही है, यदि राज्य सरकार चाहे तो आरक्षण दे सकती है।