इसलिए विकास थम गया
सीवेज: 2008 के चुनाव में सीवेज लाइन डालने के वादे को 10 साल निकल गए। नतीजा, हर साल मानसून में एक जोरदार बारिश में नांव चलाने की नौबत आ जाती है।
अतिक्रमण: बेतरतीब निर्माणों ने क्षेत्र की सूरत पिछड़े इलाके सी कर दी है। एक तरफ स्मार्ट सिटी की बात की जा रही है,वहीं दूसरी तरह क्षेत्र अतिक्रमण का गढ़ है।
जर्जर सड़कें: यहां की अधिकतर सड़कें जर्जर हंै। अंदरूनी इलाकों में तो सिर्फ गड्ढे हैं। जिन सड़कों को ठीक हो जाना चाहिए था, जिम्मेदारों की लापरवाही का शिकार हैं।
अपराध: सट्टा, जुआ और अन्य अपराधों का भी यह क्षेत्र गढ़ बन हुआ है। स्थानीय निवासियों का कहना है कि नरेला की पहचान गुंडा-गर्दी वाले इलाके के रूप में होने लगी है। इसके पीछे अपराधियों को राजनीतिक संरक्षण दिया जाना माना जा रहा है।
पेयजल समस्या: पेयजल की आपूर्ति भी यहां की बड़ा समस्या है। कई इलाके ऐसे हैं, जहां गर्मियों में दो दिन बाद पेयजल की सप्लाई की जाती है, वह भी थोड़े समय के लिए। नगर निगम के टैंकरों के भरोसे रहना पड़ता है।
सीवेज: 2008 के चुनाव में सीवेज लाइन डालने के वादे को 10 साल निकल गए। नतीजा, हर साल मानसून में एक जोरदार बारिश में नांव चलाने की नौबत आ जाती है।
अतिक्रमण: बेतरतीब निर्माणों ने क्षेत्र की सूरत पिछड़े इलाके सी कर दी है। एक तरफ स्मार्ट सिटी की बात की जा रही है,वहीं दूसरी तरह क्षेत्र अतिक्रमण का गढ़ है।
जर्जर सड़कें: यहां की अधिकतर सड़कें जर्जर हंै। अंदरूनी इलाकों में तो सिर्फ गड्ढे हैं। जिन सड़कों को ठीक हो जाना चाहिए था, जिम्मेदारों की लापरवाही का शिकार हैं।
अपराध: सट्टा, जुआ और अन्य अपराधों का भी यह क्षेत्र गढ़ बन हुआ है। स्थानीय निवासियों का कहना है कि नरेला की पहचान गुंडा-गर्दी वाले इलाके के रूप में होने लगी है। इसके पीछे अपराधियों को राजनीतिक संरक्षण दिया जाना माना जा रहा है।
पेयजल समस्या: पेयजल की आपूर्ति भी यहां की बड़ा समस्या है। कई इलाके ऐसे हैं, जहां गर्मियों में दो दिन बाद पेयजल की सप्लाई की जाती है, वह भी थोड़े समय के लिए। नगर निगम के टैंकरों के भरोसे रहना पड़ता है।
मतदाताओं का आंकड़ा
पुरुष 162046
महिला 140839
थर्ड जेंडर 13
कुल वोटर 302898
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पुरुष 162046
महिला 140839
थर्ड जेंडर 13
कुल वोटर 302898
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