निगम में जोन के सब इंजीनियर को विकास कार्यों को माप पुस्तिका में दर्ज करना चाहिए। 800 कामों की माप पुस्तिकाएं पूरी नहीं हैं। इनमें 300 से अधिक काम पूरे हुए एक माह से अधिक हो गए। रोजाना की बजाय काम पूरा होने के बाद इंजीनियर इन पुस्तिकाओं को भरते हैं। इनके आधार पर ही ठेकेदार को भुगतान होता है।
शहर में 1100 कामों के लिए भूमिपूजन हो चुके हैं। इनमें गीतांजलि गल्र्स कॉलेज और नूतन कॉलेज के बाहर महिला पुलिस केंद्र का काम भी शामिल है। भूमिपूजन किए गए कामों को एक नेताजी पुरानी तारीख में शुरू कराना चाहते थे, लेकिन जियो टेक फोटो के साथ निर्माण कार्यों की स्थिति मंगाने की वजह से अब ये संभव नहीं है।
अविनाश लवानिया, निगमायुक्त
जो काम पहले से चल रहे है, उन्हें ही पूरा किया जाएगा। अभी तक यही निर्देश हैं, इसका पालन कर रहे हैं।
जितिन राठौर, उपाध्यक्ष, कांट्रेक्टर्स एसोसिएशन
भोपाल. जीएमसी में पीजी और सुपर स्पेशिएलिटी सीटें बढ़ाने की कवायद फैल होती दिख रही है। दरअसल, चिकित्सा शिक्षा विभाग की अनदेखी के चलते कॉलेज में स्थायी डीन की नियुक्ति नहीं हो सकी। आचार संहिता लगने के बाद अगली सरकार बनने तक नियुक्ति संभव नहीं है। जल्द ही एमसीआइ निरीक्षण करने आ रही है। स्थायी डीन ना होने पर काउंसिल सीटें बढ़ाने से इंकार कर सकता है। पिछली बार एमसीआइ ने नाराजगी जताई थी।
अपर मुख्य सचिव चिकित्सा शिक्षा विभाग आरएस जुलानिया ने 15 दिन पहले संभागायुक्त को पत्र लिखकर स्थायी नियुक्ति के निर्देश दिए थे। विज्ञापन भी जारी हुआ, लेकिन किसी ने रुचि नहीं दिखाई। वरिष्ठ प्राध्यापकों का कहना है कि डीन की नियुक्ति विभाग का आंतरिक मसला है, यह राजनीतिक नहीं है।