Big Breaking: MP में 1500 डाक्टरों ने छोड़ी नौकरी, सकते में आई सरकार, जानिए पीछे का सच!
तीन सौ जूनियर डॉक्टर भोपाल के गांधी मेडिकल कॉलेज से...

भोपाल@प्रवीन श्रीवास्तव की रिपोर्ट...
मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में अपनी मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे करीब 1500 जूनियर डॉक्टर्स ने इस्तीफा दे दिया है। इसके बाद अचानक सरकार सक्ते में आ गई है। जानकारी के अनुसार इस्तीफा देने वाले जूनियर डॉक्टरों में तीन सौ जूनियर डॉक्टर भोपाल के गांधी मेडिकल कॉलेज से हैै।
बताया जा रहा है इसे लेकर जूनियर डॉक्टरों की जल्दी ही कमीश्नर और सीएस से जीएमसी में जल्दी ही मुलाकात होगी। वही जूडा का कहना है कि जब हम इस्तीफा दे चुके है, तो अब हम पर एस्मा नहीं लग सकता।
वहीं जानकारों का कहना है कि जुनियर डॉक्टरों के इस बड़े कदम से सरकार भी सकते में आ गई है। जिसके चलते सरकार को अब मजबूरन कोई बड़ा कदम उठाना पड़ सकता है।
हड़ताल से टले 70 आॅपरेशन
वही इससे पहले सोमवार को हमीदिया अस्पताल में जूनियर डॉक्टर और टेक्निकल स्टाफ के हड़ताल पर होने से व्यवस्थाएं चरमरा गई थीं। न मरीज भर्ती किए गए न ही ऑपरेशन हो पाए। इससे हमीदिया और सुल्तानिया में 70 से ज्यादा ऑपरेशन टाल दिए। सरकार ने दोपहर 2:30 बजे एस्मा (एसेंशियल सर्विसेस मेंटेनेंस एक्ट) लागू कर दिया।
दोपहर दो बजे मरीजों को दूसरी मंजिल पर ले जा रही लिफ्ट अचानक खराब हो गई। लिफ्ट अटकने से मरीजों में अफरा तफरी मच गई। करीब आधे घंटे बाद टेक्निशियन आए और लिफ्ट को ठीक किया। गनीमत रही कि मरीजों को कोई नुकसान नहीं हुआ।
वही इससे पहले हमीदिया शासकीय अस्पताल के जूनियर डॉक्टरों ने सोमवार को अपनी मांगों को लेकर हड़ताल शुरू कर दिया है। जिसके चलते सुबह से ही हमीदिया अस्पताल में मरीजों और उनके परिजनों की लंबी कतार लगी है। यहीं नहीं जूनियर डॉक्टरों के हड़ताल से अस्पताल के कामकाज भी प्रभावित हुआ है।
ओपीडी में मरीजों की भीड़ बढ़ती जा रही है। इधर, टेक्नीशियन नर्स और अन्य कर्मचारियों के काम प न होने से अस्पताल में साफ सफाई की व्यवस्था बिगड़ गयी है। मरीजों का कहना है कि सुबह से मरीज को दिखाने के लिए लाइन में लगे है अब तक पर्चा नहीं बना है। ऐसे में कई मरीजों की हालत बिगड़ती जा रही है। वहीं हड़ताल पर बैठे जूनियर डॉक्टरों का कहना है कि राज्य सरकार हमारी मांगों को जब तक पूरा नहीं करती, हड़ताल अनिश्चितकाल तक चलता रहेगा।
मरीज हो रहे परेशान
हमीदिया अस्पताल में जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल से मरीज परेशान हो रहे है। अस्पताल प्रशासन ने अभी तक किसी भी प्रकार का निर्देश नहीं दिया है। हालांकि सीनियर डॉक्टरों का कहना है कि मरीजों का इलाज किया जा रहा है। जूनियर डॉक्टरों के हड़ताल पर जाने से मरीजों को परेशानियों का सामना कर पड़ रहा है। जल्द ही इसका निराकरण किया जाएगा। वहीं बैरागढ़ से इलाज कराने के लिए हमीदिया आए हरीश लालवानी का कहना है कि सुबह से बच्चे का इलाज कराने के लिए आए हैं। तीन घंटे से ज्यादा हो गया अब तक डॉक्टर को दिखाने के लिए पर्चा नहीं बना ऐसे में बच्चे की स्थित खराब हो रही है।
जानिए क्या है एस्मा?
आवश्यक सेवा अनुरक्षण कानून (एस्मा) हड़ताल को रोकने के लिये लगाया जाता है। विदित हो कि एस्मा लागू करने से पहले इससे प्रभावित होने वाले कर्मचारियों को किसी समाचार पत्र या अन्य दूसरे माध्यम से सूचित किया जाता है।
एस्मा अधिकतम छह महीने के लिये लगाया जा सकता है और इसके लागू होने के बाद अगर कोई कर्मचारी हड़ताल पर जाता है तो वह अवैध और दण्डनीय है।
क्यों लगाया जाता है एस्मा?
सरकारें एस्मा लगाने का फैसला इसलिये करती हैं क्योंकि हड़ताल की वजह से लोगों के लिये आवश्यक सेवाओं पर बुरा असर पड़ने की आशंका होती है। जबकि आवश्यक सेवा अनुरक्षण कानून यानी एस्मा वह कानून है, जो अनिवार्य सेवाओं को बनाए रखने के लिये लागू किया जाता है।
इसके तहत जिस सेवा पर एस्मा लगाया जाता है, उससे संबंधित कर्मचारी हड़ताल नहीं कर सकते, अन्यथा हड़तालियों को छह माह तक की कैद या ढाई सौ रु. दंड अथवा दोनों हो सकते हैं।
सरकार का हथियार
एस्मा के रूप में सरकार के पास एक ऐसा हथियार है जिससे वह जब चाहे कर्मचारियों के आंदोलन को कुचल सकती है, विशेषकर हड़तालों पर प्रतिबंध लगा सकती है और बिना वारंट के कर्मचारी नेताओं को गिरफ्तार कर सकती है। एस्मा लागू होने के बाद यदि कर्मचारी हड़ताल में शामिल होता है तो यह अवैध एवं दंडनीय माना जाता है।
वैसे तो एस्मा एक केंद्रीय कानून है जिसे 1968 में लागू किया गया था, लेकिन राज्य सरकारें इस कानून को लागू करने के लिये स्वतंत्र हैं। उल्लेखनीय है कि थोड़े बहुत परिवर्तन कर कई राज्य सरकारों ने स्वयं का एस्मा कानून भी बना लिया है और अत्यावश्यक सेवाओं की सूची भी अपने अनुसार बनाई है।
अब पाइए अपने शहर ( Bhopal News in Hindi) सबसे पहले पत्रिका वेबसाइट पर | Hindi News अपने मोबाइल पर पढ़ने के लिए डाउनलोड करें Patrika Hindi News App, Hindi Samachar की ताज़ा खबरें हिदी में अपडेट पाने के लिए लाइक करें Patrika फेसबुक पेज