script15 दिनों में 3 कांग्रेस विधायकों का इस्तीफा, क्या ये भाजपा का ‘प्लान बी’ है? | Resignation of 3 Congress MLAs out of 15 days, is this BJP's Plan B | Patrika News

15 दिनों में 3 कांग्रेस विधायकों का इस्तीफा, क्या ये भाजपा का ‘प्लान बी’ है?

locationभोपालPublished: Jul 24, 2020 12:59:04 pm

Submitted by:

Pawan Tiwari

मध्यप्रदेश ( Madhya Pradesh ) की 27 सीटों पर उपचुनाव ( By Polls) होंगे।

15 तीनों में 3 कांग्रेस विधायकों का इस्तीफा, क्या ये भाजपा का 'प्लान बी' है?

15 तीनों में 3 कांग्रेस विधायकों का इस्तीफा, क्या ये भाजपा का ‘प्लान बी’ है?

भोपाल. मध्यप्रदेश ( Madhya Pradesh ) की सियासत एक बार फिर इस्तीफों ( Resignation ) के दौर में आ गई है। उपचुनाव ( By Polls ) की तैयारी में जुटी कांग्रेस ( Congress ) को लगातार झटके लग रहे हैं। मार्च में 22 विधायकों के इस्तीफे के बाद अब एक बार फिर से इस्तीफों का दौर शुरू हो गया है। हालांकि विधायकों ( Congress Mla ) के इस्तीफों देने की मुख्य वजह क्या है इसका खुलासा अभी तक नहीं हुआ है। वहीं, दूसरी तरफ राजनीतिक जानकरों का कहना है कि कांग्रेस विधायकों के लगातार इस्तीफे कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ाएंगे तो भाजपा के लिए फायदा हो सकता है।
क्या है भाजपा का प्लान?
मध्यप्रदेश में अभी तक 25 कांग्रेस विधायक इस्तीफा दे चुके हैं। जबकि दो विधानसभा सीटें दो विधायकों के निधन के बाद खाली हैं। मौजूदा समय में भाजपा सबसे बड़ी पार्टी है और उसके पास 107 विधायक हैं। जबकि लगातार इस्तीफों से कांग्रेस को नुकसान हो रहा है। ज्योतिरादित्य सिंधिया ( Jyotiraditya Scindia ) के कांग्रेस छोड़ने के बाद बीजेपी सत्ता में आई है। ऐसे में सरकार में ज्योतिरादित्य सिंधिया का दबदबा भी है। कैबिनेट विस्तार से लेकर विभागों के बंटवारे तक में ज्योतिरादित्य सिंधिया का दबादबा रहा है।
शिवराज कैबिनेट में ज्योतिरादित्य सिंधिया की हिस्सेदारी 41 फीसदी है। उनका दखल सरकार में हमेशा रहेगा। दरअसल, एमपी में बीजेपी को सत्ता में बने रहने के लिए 9 सीटों कीआवश्यकता है। बीजेपी के पास अभी 107 विधायक हैं।
कैसा है गणित
कांग्रेस के जिन 22 विधायकों के इस्तीफे के बाद मध्यप्रदेश की कमलनाथ सरकार गिरी थी उनमें से 18 ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थक हैं। जबकि 4 नेता कांग्रेस से नाराज होकर भाजपा में शामिल हुए थे। दो सीटें विधायकों के निधन के बाद खाली हुई है। हालांकि उसमें से जौरा विधानसभा में ज्योतिरादित्य का प्रभाव है। ऐसे में प्रदेश की राजनीति में 8 ऐसी सीटों पर उपचुनाव हैं, जिनका सिंधिया खेमे से सीधा कोई वास्ता नहीं है। ऐसे में भाजपा चाहेगी कि मध्यप्रदेश में 9 सीटें ऐसी जीतीं जाए जो किसी के भी प्रभाव को ना हों। अगर सीट पार्टी को होगी तो सत्ता में किसी भी व्यक्ति का दखल ज्यादा नहीं होगा।

सिंधिया का रहा है दबदबा
ज्योतिरादित्य सिंधिया के दखल की वजह से एमपी में कैबिनेट का विस्तार भी लंबा खींचा है। उसके बाद विभागों के बंटवारे में 11 दिन लग गए। मंत्रियों को विभाग बंटवारे को लेकर लेकर भोपाल से लेकर दिल्ली तक खूब माथापच्ची हुई थी। सीएम शिवराज सिंह चौहान समेत बीजेपी के कई केंद्रीय नेताओं ने भी ज्योतिरादित्य सिंधिया से मुलाकात की। उसके बाद विभाग बंटवारे पर सहमति बनी थी।
बीएसपी और सपा का भी साथ
यहीं, बीएसपी के 2 और सपा के एक 1 विधायक भी बीजेपी के साथ हैं। इन सभी राज्यसभा चुनाव में बीजेपी को वोट किया था। ऐसे में बीजेपी प्रदेश में जोर-शोर इस फॉर्म्युला पर काम कर रही है। इसी कड़ी के तहत कांग्रेस को अभी 3 झटके लगे हैं। भाजपा नेताओं के द्वारा लगातार ऐसा दावा किया जा रहा है कि निमाड़ और मालवा इलाके के कुछ और विधायक जल्द ही कांग्रेस छोड़ सकते हैं।
सिंधिया बड़ा चेहरा
कांग्रेस की उपेक्षा के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भाजपा ज्वाइन की है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया मध्यप्रदेश के सबसे बड़े चेहरे हैं। उपचुनाव में बी भाजपा ने ज्योतिरादित्य सिंधिया को ही चेहरा बनाया है। ऐसे में ये नहीं कहा जा सकता है कि भाजपा सिंधिया के प्रभाव को कम करना चाहती है। भाजपा सत्ता में केवल पार्टी का नियंत्रण रखना चाहती है। ताकि पार्टी के अदंर किसी भी तरह की गुटबाजी या खेमे बाजी की स्थिति ना बने।
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