शिकायत सुनने के लिए कालेज, संस्थान और विश्वविद्यालय स्तर पर चार कमेटियां बनाई जाएंगी। कमेटियां जिन मामलों को निराकरण नहीं कर पाएंगी अथवा उसके निर्णय से जो विद्यार्थी संतुष्ट नहीं होंगे वे लोकपाल के पास आवेदन कर सकेंगे।
राज्यपाल का नामित एक अध्यक्ष और सदस्य होंगे
केन्द्रीय विश्वविद्यालयों और संस्थानों के लिए अलग से लोकपाल का चयन किया जाएगा। दर असल यह सब सरकार विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (छात्रों की शिकायत का निवारण विनियम) 2019 लागू करने जा रही है। लोकपाल की नियुक्त के लिए एक सर्च कमेटी गठित की जाएगी, जिसमें पांच सदस्यीय सदस्य होंगे। राज्यपाल का नामित एक अध्यक्ष और सदस्य होंगे।
व्यक्ति का चयन किया जाएगा
उच्च शिक्षा के क्षेत्र में प्रतिष्ठित व्यक्ति ही सभापति होगा, समिति का सदस्य राज्यपाल के माध्यम से नामित किए जाएंगे, राज्य सार्वजनिक विश्वविद्यालय और निजी विश्वविद्यालय के एक-एक कुलपति, उच्च शिक्षा परिषद के अध्यक्ष अथवा उनका नामित सदस्य और उच्च शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव अथवा सचिव सदस्य होंगे। सर्च कमेटी कम से कम तीन नामों का पेनल तैयार करेगी, इसमें से एक व्यक्ति का चयन किया जाएगा।
नहीं मिलेगा लोकपाल को वेतन
लोकपाल को कोई वेतन नहीं दिया जाएगा। एक बार लोकपाल में किसी का चयन करने के बाद सरकार उसे दोबारा लोकपाल नहीं बना सकेगी। उनकी नियुक्त तीन वर्ष अथवा 70 वर्ष की आयु पूरी होने में जो पहले पूर्ण होगा, उसे ही कार्यकाल समाप्त माना जाएगा। सुनवाई के लिए जहां भी लोकपाल जाएंगे उन्हें उसके लिए यात्रा, भत्ता और प्रतिदिन की सुनवाई के हिसाब से मानदेय दिया जाएगा। किसी शिकायात को लोकपाल को अधिकतम तीस दिन के अंदर का निराकरण करना होगा।
लोकपाल कालेज-विश्वविद्यालय विद्यार्थियों को प्रवेश लेने के लिए झूठे प्रलोभन देने के संबंध में जांच कर सकेगी। लोकपाल के यहां समितियों की अपीलें सुनी जाएंगी। इसके अलावा जो विद्यार्थी समितियों के निर्णय से संतुष्ट नहीं होंगे वे उसे लोकपाल के पास लेकर जा सकेंगे।
कालेज और विश्वविद्यालय स्तर पर 4 बनेंगी समितियां
– महाविद्यालय में छात्र शिकायत निवारण समिति (सीएसजीआरसी)
– विभागीय छात्र शिकायत निवारण समिति (डीएसजीआरसी )
– संस्थागत छात्र शिकायत निवारण समिति (आईएसजीआरसी)
– विश्वविद्यालय छात्र शिकायत निवारण समिति (यूएसजीआरसी )
सिफारिश नहीं मानने पर मान्यता होगी निरस्त
समितियों की सिफारिश नहीं मानने पर विश्वविद्यालय कालेजों से संबद्धता वापस लेगा। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग से ग्रांट नहीं मिलेगा और सरकार सहायता राशि भी रोक लेगी। नियमों का बार-बार उल्लंघन करने पर समितियों और लोकपाल की सिफारिश नहीं मानने पर कालेजों और विश्वविद्यालयों की मान्यता समाप्त की जाएगी।