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कालेजों और विश्वविद्यालयों में छात्रों की शिकायत सुनने अब नहीं होंगे सेवानिवृत्त्त न्यायाधीश लोकपाल

locationभोपालPublished: Nov 19, 2019 08:56:11 am

Submitted by:

Ashok gautam

– संस्थान, कालेज और विश्वविद्यालय में शिकायत सुनने 4 स्तरीय कमेटी, प्रदेश में सिर्फ एक होगा लोकपाल- प्रदेश में लागू होगा विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (छात्रों की शिकायत का निवारण) विनियम 2019

कालेजों और विश्वविद्यालयों में छात्रों की शिकायत सुनने अब नहीं होंगे सेवानिवृत्त्त न्यायाधीश लोकपाल

कालेजों और विश्वविद्यालयों में छात्रों की शिकायत सुनने अब नहीं होंगे सेवानिवृत्त्त न्यायाधीश लोकपाल

भोपाल। विश्वविद्यालयों में विद्यार्थियों की शिकायत सुनने के लिए अब सेवानिवृत्त न्यायाधीशों को लोकपाल नहीं बनाया जाएगा। सरकार अब पूरे प्रदेश के छात्रों की शिकायतें सुनने के लिए सिर्फ एक ही लोकपाल का चयन करेगी।लोकपाल के चयन के लिए राज्यपाल अध्ययक्ष सहित पांच सदस्यीय कमेटी बनाएंगे। लोकपाल शिक्षाविद् अथवा शोध के क्षेत्र में प्रख्यात पूर्व कुलपति ही बन सकेंगे।

शिकायत सुनने के लिए कालेज, संस्थान और विश्वविद्यालय स्तर पर चार कमेटियां बनाई जाएंगी। कमेटियां जिन मामलों को निराकरण नहीं कर पाएंगी अथवा उसके निर्णय से जो विद्यार्थी संतुष्ट नहीं होंगे वे लोकपाल के पास आवेदन कर सकेंगे।

राज्यपाल का नामित एक अध्यक्ष और सदस्य होंगे

केन्द्रीय विश्वविद्यालयों और संस्थानों के लिए अलग से लोकपाल का चयन किया जाएगा। दर असल यह सब सरकार विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (छात्रों की शिकायत का निवारण विनियम) 2019 लागू करने जा रही है। लोकपाल की नियुक्त के लिए एक सर्च कमेटी गठित की जाएगी, जिसमें पांच सदस्यीय सदस्य होंगे। राज्यपाल का नामित एक अध्यक्ष और सदस्य होंगे।

व्यक्ति का चयन किया जाएगा

उच्च शिक्षा के क्षेत्र में प्रतिष्ठित व्यक्ति ही सभापति होगा, समिति का सदस्य राज्यपाल के माध्यम से नामित किए जाएंगे, राज्य सार्वजनिक विश्वविद्यालय और निजी विश्वविद्यालय के एक-एक कुलपति, उच्च शिक्षा परिषद के अध्यक्ष अथवा उनका नामित सदस्य और उच्च शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव अथवा सचिव सदस्य होंगे। सर्च कमेटी कम से कम तीन नामों का पेनल तैयार करेगी, इसमें से एक व्यक्ति का चयन किया जाएगा।

नहीं मिलेगा लोकपाल को वेतन
लोकपाल को कोई वेतन नहीं दिया जाएगा। एक बार लोकपाल में किसी का चयन करने के बाद सरकार उसे दोबारा लोकपाल नहीं बना सकेगी। उनकी नियुक्त तीन वर्ष अथवा 70 वर्ष की आयु पूरी होने में जो पहले पूर्ण होगा, उसे ही कार्यकाल समाप्त माना जाएगा। सुनवाई के लिए जहां भी लोकपाल जाएंगे उन्हें उसके लिए यात्रा, भत्ता और प्रतिदिन की सुनवाई के हिसाब से मानदेय दिया जाएगा। किसी शिकायात को लोकपाल को अधिकतम तीस दिन के अंदर का निराकरण करना होगा।

झूठे प्रलोभन देकर प्रदेश देने पर कर सकेंगे लोकपाल जांच
लोकपाल कालेज-विश्वविद्यालय विद्यार्थियों को प्रवेश लेने के लिए झूठे प्रलोभन देने के संबंध में जांच कर सकेगी। लोकपाल के यहां समितियों की अपीलें सुनी जाएंगी। इसके अलावा जो विद्यार्थी समितियों के निर्णय से संतुष्ट नहीं होंगे वे उसे लोकपाल के पास लेकर जा सकेंगे।
इसके अलावा किसी कालेज अथवा विश्वविद्यालय में योग्यता के विपरीत प्रवेश दिया जाना, घोषित प्रवेश नीति के तहत प्रक्रिया में अनियमितता, प्रवेश नीति के अनुसार प्रवेश देने से इनकार करना, प्रवेश लेने के दौरान किसी भी दस्तावेज और उपाधि, डिप्लोमा या पुरस्कार के दस्तावेज को संस्थान द्वारा वापस नहीं किया जाना, ऐसे पाठ्यक्रमों में छात्र को पढऩे के लिए मजबूर करना जिसमें छात्र के रुचि नहीं हो, निर्धारित फीस से अधिक राशि मांगना अथवा वसूल करना। प्रवेश सीट में आरक्षण नियमानुसार पालन न करना, छात्रवृत्ति भुगतान एवं वित्तीय सहायता भुगतान न किया जाना या देरी करना।
परीक्षा परिणाम घोषित देर से करना छात्रों के मूल्यांकन के लिए संस्था द्वारा अपनाई गई गैर पारदर्शी पद्धतियां अनुसूचित जाति अनुसूचित जनजाति, अल्पसंख्यक श्रेणी के छात्रों के साथ भेदभाव की शिकायतें, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान नहीं किया जाना को शमिल किया गया है।

कालेज और विश्वविद्यालय स्तर पर 4 बनेंगी समितियां
– महाविद्यालय में छात्र शिकायत निवारण समिति (सीएसजीआरसी)
– विभागीय छात्र शिकायत निवारण समिति (डीएसजीआरसी )
– संस्थागत छात्र शिकायत निवारण समिति (आईएसजीआरसी)
– विश्वविद्यालय छात्र शिकायत निवारण समिति (यूएसजीआरसी )

सिफारिश नहीं मानने पर मान्यता होगी निरस्त
समितियों की सिफारिश नहीं मानने पर विश्वविद्यालय कालेजों से संबद्धता वापस लेगा। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग से ग्रांट नहीं मिलेगा और सरकार सहायता राशि भी रोक लेगी। नियमों का बार-बार उल्लंघन करने पर समितियों और लोकपाल की सिफारिश नहीं मानने पर कालेजों और विश्वविद्यालयों की मान्यता समाप्त की जाएगी।

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