राज्य सरकार की तरह विधानसभा सचिवालय में भी नियम लागू होते हैं, लेकिन सभी नियमों के लिए विधानसभा सचिवालय को अलग से आदेश जारी करना पड़ते हैं। यहां स्पीकर का विशेषाधिकार है, इसलिए सचिवालय को अपने अलग नियम बनाने का अधिकार है।
राज्य सरकार में अधिकारी-कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति आयु 60 से बढ़ाकर 62 वर्ष की गई, तो विधानसभा में भी फाइल आगे बढ़ी। सेवानिवृत्ति आयु सीमा बढ़ाए जाने के लिए विधानसभा ने अपने सेवा भर्ती नियमों में संशोधन किया। इसके लिए हाल ही में हुए मध्यप्रदेश विधानसभा सचिवालय सेवा (संशोधन) विधेयक सदन में पारित किया गया।
सिर्फ एक बार सेवावृद्धि का अधिकार
इस विधेयक में सभी प्रावधान तो राज्य सरकार के अधिकारी-कर्मचारियों के समान है, लेकिन एक प्रावधान अलग हटकर भी है कि यदि संबंधित अधिकारी, कर्मचारी का कार्य बेहतर है, तो उसकी सेवावृद्धि की जा सकती है। यह सेवावृद्धि अधिकतम दो साल हो सकती है। यह निर्णय विधानसभा अध्यक्ष के अधिकार पर निर्भर है। यदि अध्यक्ष चाहें तो संबंधित को दो साल की सेवावृद्धि दे सकते हैं। यानी वह 62 की बजाय 64 साल में रिटायर होगा।
इस साल 60 साल में रिटायर हुए दो कर्मचारी
राज्य सरकार में इसी वर्ष मार्च माह से सेवानिवृत्ति आयु 62 वर्ष हो गई, लेकिन विधानसभा में यह नियम मार्च से लागू नहीं हो सका। इससे यहां दो कर्मचारी 60 साल में ही रिटायर हो गए। इसको लेकर सचिवालय कर्मचारियों ने खासा विरोध किया। विधानसभा स्पीकर डॉ. सीतासरन शर्मा ने कहा कि अधिकारी—कर्मचारियों की सेवावृद्धि का प्रावधान विधानसभा सचिवालय में पहले से है। अब नियमों में संशोधन हुआ है। दो साल की सेवावृद्धि अधिकतम है।